Surah Al-Araf Verse 123 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Al-Arafقَالَ فِرۡعَوۡنُ ءَامَنتُم بِهِۦ قَبۡلَ أَنۡ ءَاذَنَ لَكُمۡۖ إِنَّ هَٰذَا لَمَكۡرٞ مَّكَرۡتُمُوهُ فِي ٱلۡمَدِينَةِ لِتُخۡرِجُواْ مِنۡهَآ أَهۡلَهَاۖ فَسَوۡفَ تَعۡلَمُونَ
फिरऔन ने कहा (हाए) तुम लोग मेरी इजाज़त के क़ब्ल (पहले) उस पर ईमान ले आए ये ज़रूर तुम लोगों की मक्कारी है जो तुम लोगों ने उस शहर में फैला रखी है ताकि उसके बाशिन्दों को यहाँ से निकाल कर बाहर करो पस तुम्हें अन क़रीब ही उस शरारत का मज़ा मालूम हो जाएगा