Surah Al-Araf Verse 146 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Al-Arafسَأَصۡرِفُ عَنۡ ءَايَٰتِيَ ٱلَّذِينَ يَتَكَبَّرُونَ فِي ٱلۡأَرۡضِ بِغَيۡرِ ٱلۡحَقِّ وَإِن يَرَوۡاْ كُلَّ ءَايَةٖ لَّا يُؤۡمِنُواْ بِهَا وَإِن يَرَوۡاْ سَبِيلَ ٱلرُّشۡدِ لَا يَتَّخِذُوهُ سَبِيلٗا وَإِن يَرَوۡاْ سَبِيلَ ٱلۡغَيِّ يَتَّخِذُوهُ سَبِيلٗاۚ ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمۡ كَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَا وَكَانُواْ عَنۡهَا غَٰفِلِينَ
जो लोग (ख़ुदा की) ज़मीन पर नाहक़ अकड़ते फिरते हैं उनको अपनी आयतों से बहुत जल्द फेर दूंगा और मै क्या फेरूंगा ख़ुदा (उसका दिल ऐसा सख्त है कि) अगर दुनिया जहॉन के सारे मौजिज़े भी देखते तो भी ये उन पर ईमान न लाएगें और (अगर) सीधा रास्ता भी देख पाएं तो भी अपनी राह न जाएगें और अगर गुमराही की राह देख लेगें तो झटपट उसको अपना तरीक़ा बना लेगें ये कजरवी इस सबब से हुई कि उन लोगों ने हमारी आयतों को झुठला दिया और उनसे ग़फलत करते रहे