Surah Al-Araf Verse 155 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Al-Arafوَٱخۡتَارَ مُوسَىٰ قَوۡمَهُۥ سَبۡعِينَ رَجُلٗا لِّمِيقَٰتِنَاۖ فَلَمَّآ أَخَذَتۡهُمُ ٱلرَّجۡفَةُ قَالَ رَبِّ لَوۡ شِئۡتَ أَهۡلَكۡتَهُم مِّن قَبۡلُ وَإِيَّـٰيَۖ أَتُهۡلِكُنَا بِمَا فَعَلَ ٱلسُّفَهَآءُ مِنَّآۖ إِنۡ هِيَ إِلَّا فِتۡنَتُكَ تُضِلُّ بِهَا مَن تَشَآءُ وَتَهۡدِي مَن تَشَآءُۖ أَنتَ وَلِيُّنَا فَٱغۡفِرۡ لَنَا وَٱرۡحَمۡنَاۖ وَأَنتَ خَيۡرُ ٱلۡغَٰفِرِينَ
और मूसा ने अपनी क़ौम से हमारा वायदा पूरा करने को (कोहतूर पर ले जाने के वास्ते) सत्तर आदमियों को चुना फिर जब उनको ज़लज़ले ने आ पकड़ा तो हज़रत मूसा ने अर्ज़ किया परवरदिगार अगर तू चाहता तो मुझको और उन सबको पहले ही हलाक़ कर डालता क्या हम में से चन्द बेवकूफों की करनी की सज़ा में हमको हलाक़ करता है ये तो सिर्फ तेरी आज़माइश थी तू जिसे चाहे उसे गुमराही में छोड़ दे और जिसको चाहे हिदायत दे तू ही हमारा मालिक है तू ही हमारे कुसूर को माफ कर और हम पर रहम कर और तू तो तमाम बख्शने वालों से कहीें बेहतर है