مِّمَّا خَطِيٓـَٰٔتِهِمۡ أُغۡرِقُواْ فَأُدۡخِلُواْ نَارٗا فَلَمۡ يَجِدُواْ لَهُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ أَنصَارٗا
(आख़िर) वह अपने गुनाहों की बदौलत (पहले तो) डुबाए गए फिर जहन्नुम में झोंके गए तो उन लोगों ने ख़ुदा के सिवा किसी को अपना मददगार न पाया
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi