وَأَنَّا كُنَّا نَقۡعُدُ مِنۡهَا مَقَٰعِدَ لِلسَّمۡعِۖ فَمَن يَسۡتَمِعِ ٱلۡأٓنَ يَجِدۡ لَهُۥ شِهَابٗا رَّصَدٗا
और ये कि हम बैठते थे उस (आकाश) में सुन-गुन लेने के स्थानों में और जो अब सुनने का प्रयास करेगा, वह पायेगा अपने लिए एक उल्का घात में लगा हुआ।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari