Surah Al-Muzzammil Verse 20 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Muzzammil۞إِنَّ رَبَّكَ يَعۡلَمُ أَنَّكَ تَقُومُ أَدۡنَىٰ مِن ثُلُثَيِ ٱلَّيۡلِ وَنِصۡفَهُۥ وَثُلُثَهُۥ وَطَآئِفَةٞ مِّنَ ٱلَّذِينَ مَعَكَۚ وَٱللَّهُ يُقَدِّرُ ٱلَّيۡلَ وَٱلنَّهَارَۚ عَلِمَ أَن لَّن تُحۡصُوهُ فَتَابَ عَلَيۡكُمۡۖ فَٱقۡرَءُواْ مَا تَيَسَّرَ مِنَ ٱلۡقُرۡءَانِۚ عَلِمَ أَن سَيَكُونُ مِنكُم مَّرۡضَىٰ وَءَاخَرُونَ يَضۡرِبُونَ فِي ٱلۡأَرۡضِ يَبۡتَغُونَ مِن فَضۡلِ ٱللَّهِ وَءَاخَرُونَ يُقَٰتِلُونَ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِۖ فَٱقۡرَءُواْ مَا تَيَسَّرَ مِنۡهُۚ وَأَقِيمُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتُواْ ٱلزَّكَوٰةَ وَأَقۡرِضُواْ ٱللَّهَ قَرۡضًا حَسَنٗاۚ وَمَا تُقَدِّمُواْ لِأَنفُسِكُم مِّنۡ خَيۡرٖ تَجِدُوهُ عِندَ ٱللَّهِ هُوَ خَيۡرٗا وَأَعۡظَمَ أَجۡرٗاۚ وَٱسۡتَغۡفِرُواْ ٱللَّهَۖ إِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٞ رَّحِيمُۢ
निःसंदेह, आपका पालनहार जानता है कि आप खड़े होते हैं (तहुज्जुद की नमाज़ के लिए) दो तिहाई रात्रि के लग-भग तथा आधी रात और तिहाई रात तथा एक समूह उन लोगों का, जो आपके साथ हैं और अल्लाह ही ह़िसाब रखता है रात तथा दिन का। वह जानता है कि तुम पूरी रात नमाज़ के लिए खड़े नहीं हो सकोगे, अतः, उसने दया कर दी तुमपर। तो पढ़ो जितना सरल हो क़ुर्आन में से।[1] वह जानता है कि तुममें कुछ रोगी होंगे और कुछ दुसरे यात्रा करेंगे धरती में खोज करते हुए अल्लाह के अनुग्रह (जीविका) की और कुछ दूसरे युध्द करेंगे अल्लाह की राह में, अतः, पढ़ो जितना सरल हो उसमें से तथा स्थापना करो नमाज़ की, ज़कात देते रहो और ऋण दो अल्लाह को अच्छा ऋण[2] तथा जो भी आगे भेजोगे भलाई में से, तो उसे अल्लाह के पास पाओगे। वही उत्तम और उसका बहुत बड़ा प्रतिफल होगा और क्षमा माँगते रहो अल्लाह से, वास्तव में वह अति क्षमाशील, दयावान् है।