يَوۡمَ يَقُومُ ٱلرُّوحُ وَٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ صَفّٗاۖ لَّا يَتَكَلَّمُونَ إِلَّا مَنۡ أَذِنَ لَهُ ٱلرَّحۡمَٰنُ وَقَالَ صَوَابٗا
जिस दिन रूह़ (जिब्रील) तथा फ़रिश्ते पंक्तियों में खड़े होंगे, वही बात कर सकेगा जिसे रहमान (अल्लाह) आज्ञा देगा और सह़ीह़ बात करेगा।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari