وَءَاخَرُونَ مُرۡجَوۡنَ لِأَمۡرِ ٱللَّهِ إِمَّا يُعَذِّبُهُمۡ وَإِمَّا يَتُوبُ عَلَيۡهِمۡۗ وَٱللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٞ
और (इनके सिवाय) कुछ दूसरे भी हैं, जो अल्लाह के आदेश के लिए विलंबित[1] हैं। वह उन्हें दण्ड दे अथवा उन्हें क्षमा कर दे, अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वज्ञ है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari