Surah At-Taubah Verse 107 - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
Surah At-Taubahوَٱلَّذِينَ ٱتَّخَذُواْ مَسۡجِدٗا ضِرَارٗا وَكُفۡرٗا وَتَفۡرِيقَۢا بَيۡنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ وَإِرۡصَادٗا لِّمَنۡ حَارَبَ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ مِن قَبۡلُۚ وَلَيَحۡلِفُنَّ إِنۡ أَرَدۡنَآ إِلَّا ٱلۡحُسۡنَىٰۖ وَٱللَّهُ يَشۡهَدُ إِنَّهُمۡ لَكَٰذِبُونَ
और कुछ ऐसे लोग भी हैं , जिन्होंने मस्जिद बनाई इसलिए कि नुक़सान पहुँचाएँ और कुफ़्र करें और इसलिए कि ईमानवालों के बीच फूट डाले और उस व्यक्ति के घात लगाने का ठिकाना बनाएँ, जो इससे पहले अल्लाह और उसके रसूल से लड़ चुका है। वे निश्चय ही क़समें खाएँगे कि "हमने तो बस अच्छा ही चाहा था।" किन्तु अल्लाह गवाही देता है कि वे बिलकुल झूठे है