Surah At-Taubah Verse 111 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah At-Taubah۞إِنَّ ٱللَّهَ ٱشۡتَرَىٰ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ أَنفُسَهُمۡ وَأَمۡوَٰلَهُم بِأَنَّ لَهُمُ ٱلۡجَنَّةَۚ يُقَٰتِلُونَ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِ فَيَقۡتُلُونَ وَيُقۡتَلُونَۖ وَعۡدًا عَلَيۡهِ حَقّٗا فِي ٱلتَّوۡرَىٰةِ وَٱلۡإِنجِيلِ وَٱلۡقُرۡءَانِۚ وَمَنۡ أَوۡفَىٰ بِعَهۡدِهِۦ مِنَ ٱللَّهِۚ فَٱسۡتَبۡشِرُواْ بِبَيۡعِكُمُ ٱلَّذِي بَايَعۡتُم بِهِۦۚ وَذَٰلِكَ هُوَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِيمُ
निःसंदेह अल्लाह ने ईमान वालों के प्राणों तथा उनके धनों को इसके बदले ख़रीद लिया है कि उनके लिए स्वर्ग है। वे अल्लाह की राह में युध्द करते हैं, वे मारते तथा मरते हैं। ये अल्लाह पर सत्य वचन है, तौरात, इंजील और क़ुर्आन में और अल्लाह से बढ़कर अपना वचन पूरा करने वाला कौन हो सकता है? अतः, अपने इस सौदे पर प्रसन्न हो जाओ, जो तुमने किया और यही बड़ी सफलता है।