Surah At-Taubah Verse 3 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah At-Taubahوَأَذَٰنٞ مِّنَ ٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦٓ إِلَى ٱلنَّاسِ يَوۡمَ ٱلۡحَجِّ ٱلۡأَكۡبَرِ أَنَّ ٱللَّهَ بَرِيٓءٞ مِّنَ ٱلۡمُشۡرِكِينَ وَرَسُولُهُۥۚ فَإِن تُبۡتُمۡ فَهُوَ خَيۡرٞ لَّكُمۡۖ وَإِن تَوَلَّيۡتُمۡ فَٱعۡلَمُوٓاْ أَنَّكُمۡ غَيۡرُ مُعۡجِزِي ٱللَّهِۗ وَبَشِّرِ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ بِعَذَابٍ أَلِيمٍ
तथा अल्लाह और उसके रसूल की ओर से सार्वजनिक सूचना है, महा ह़ज[1] के दिन कि अल्लाह मिश्रणवादियों (मुश्रिकों) से अलग है तथा उसका रसूल भी। फिर यदि तुम तौबा (क्षमा याचना) कर लो, तो वह तुम्हारे लिए उत्तम है और यदि तुमने मुँह फेरा, तो जान लो कि तुम अल्लाह को विवश करने वाले नहीं हो और आप उन्हें जो काफ़िर हो गये, दुःखदायी यातना का शुभ समाचार सुना दें।