Surah At-Taubah Verse 31 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah At-Taubahٱتَّخَذُوٓاْ أَحۡبَارَهُمۡ وَرُهۡبَٰنَهُمۡ أَرۡبَابٗا مِّن دُونِ ٱللَّهِ وَٱلۡمَسِيحَ ٱبۡنَ مَرۡيَمَ وَمَآ أُمِرُوٓاْ إِلَّا لِيَعۡبُدُوٓاْ إِلَٰهٗا وَٰحِدٗاۖ لَّآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَۚ سُبۡحَٰنَهُۥ عَمَّا يُشۡرِكُونَ
उन लोगों ने तो अपने ख़ुदा को छोड़कर अपनी आलिमों को और अपने ज़ाहिदों को और मरियम के बेटे मसीह को अपना परवरदिगार बना डाला हालॉकि उन्होनें सिवाए इसके और हुक्म ही नहीं दिया गया कि ख़ुदाए यक़ता (सिर्फ़ ख़ुदा) की इबादत करें उसके सिवा (और कोई क़ाबिले परसतिश नहीं)