Surah At-Taubah Verse 42 - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
Surah At-Taubahلَوۡ كَانَ عَرَضٗا قَرِيبٗا وَسَفَرٗا قَاصِدٗا لَّٱتَّبَعُوكَ وَلَٰكِنۢ بَعُدَتۡ عَلَيۡهِمُ ٱلشُّقَّةُۚ وَسَيَحۡلِفُونَ بِٱللَّهِ لَوِ ٱسۡتَطَعۡنَا لَخَرَجۡنَا مَعَكُمۡ يُهۡلِكُونَ أَنفُسَهُمۡ وَٱللَّهُ يَعۡلَمُ إِنَّهُمۡ لَكَٰذِبُونَ
यदि निकट (भविष्य में) ही कुछ मिलनेवाला होता और सफ़र भी हलका होता तो वे अवश्य तुम्हारे पीछे चल पड़ते, किन्तु मार्ग की दूरी उन्हें कठिन और बहुत दीर्घ प्रतीत हुई। अब वे अल्लाह की क़समें खाएँगे कि, "यदि हममें इसकी सामर्थ्य होती तो हम अवश्य तुम्हारे साथ निकलते।" वे अपने आपको तबाही में डाल रहे है और अल्लाह भली-भाँति जानता है कि निश्चय ही वे झूठे है