Surah At-Taubah Verse 60 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah At-Taubah۞إِنَّمَا ٱلصَّدَقَٰتُ لِلۡفُقَرَآءِ وَٱلۡمَسَٰكِينِ وَٱلۡعَٰمِلِينَ عَلَيۡهَا وَٱلۡمُؤَلَّفَةِ قُلُوبُهُمۡ وَفِي ٱلرِّقَابِ وَٱلۡغَٰرِمِينَ وَفِي سَبِيلِ ٱللَّهِ وَٱبۡنِ ٱلسَّبِيلِۖ فَرِيضَةٗ مِّنَ ٱللَّهِۗ وَٱللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٞ
(तो उनका क्या कहना था) ख़ैरात तो बस ख़ास फकीरों का हक़ है और मोहताजों का और उस (ज़कात वग़ैरह) के कारिन्दों का और जिनकी तालीफ़ क़लब की गई है (उनका) और (जिन की) गर्दनों में (गुलामी का फन्दा पड़ा है उनका) और ग़द्दारों का (जो ख़ुदा से अदा नहीं कर सकते) और खुदा की राह (जिहाद) में और परदेसियों की किफ़ालत में ख़र्च करना चाहिए ये हुकूक़ ख़ुदा की तरफ से मुक़र्रर किए हुए हैं और ख़ुदा बड़ा वाक़िफ कार हिकमत वाला है