Surah At-Taubah Verse 64 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah At-Taubahيَحۡذَرُ ٱلۡمُنَٰفِقُونَ أَن تُنَزَّلَ عَلَيۡهِمۡ سُورَةٞ تُنَبِّئُهُم بِمَا فِي قُلُوبِهِمۡۚ قُلِ ٱسۡتَهۡزِءُوٓاْ إِنَّ ٱللَّهَ مُخۡرِجٞ مَّا تَحۡذَرُونَ
जिसमें वह हमेशा (जलता भुनता) रहेगा यही तो बड़ी रूसवाई है मुनाफेक़ीन इस बात से डरतें हैं कि (कहीं ऐसा न हो) इन मुलसमानों पर (रसूल की माअरफ़त) कोई सूरा नाज़िल हो जाए जो उनको जो कुछ उन मुनाफिक़ीन के दिल में है बता दे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (अच्छा) तुम मसख़रापन किए जाओ