उनका मार्ग, जिनपर तूने पुरस्कार किया।[1] उनका नहीं, जिनपर तेरा प्रकोप[2] हुआ और न ही उनका, जो कुपथ (गुमराह) हो गये।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari