قُلِ ٱنظُرُواْ مَاذَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَمَا تُغۡنِي ٱلۡأٓيَٰتُ وَٱلنُّذُرُ عَن قَوۡمٖ لَّا يُؤۡمِنُونَ
(हे नबी!) उनसे कहो कि उसे देखो, जो आकाशो तथा धरती में है और निशानियाँ तथा चेतावनियाँ उन्हें क्या लाभ दे सकती हैं, जो ईमान (विश्वास) न रखते हों
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari