Surah Ar-Rad Verse 3 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Ar-Radوَهُوَ ٱلَّذِي مَدَّ ٱلۡأَرۡضَ وَجَعَلَ فِيهَا رَوَٰسِيَ وَأَنۡهَٰرٗاۖ وَمِن كُلِّ ٱلثَّمَرَٰتِ جَعَلَ فِيهَا زَوۡجَيۡنِ ٱثۡنَيۡنِۖ يُغۡشِي ٱلَّيۡلَ ٱلنَّهَارَۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّقَوۡمٖ يَتَفَكَّرُونَ
तथा वही है, जिसने धरती को फैलाया और उसमें पर्वत तथा नहरें बनायीं और प्रत्येक फल के दो प्रकार बनाये। वह रात्रि से दिन को छुपा देता है। वास्तव में, इसमें बहुत सी निशानियाँ हैं, उन लोगों के लिए, जो सोच-विचार करते हैं।