Surah Al-Hijr - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
الٓرۚ تِلۡكَ ءَايَٰتُ ٱلۡكِتَٰبِ وَقُرۡءَانٖ مُّبِينٖ
अलिफ़॰ लाम॰ रा॰। यह किताब अर्थात स्पष्ट क़ुरआन की आयतें हैं
Surah Al-Hijr, Verse 1
رُّبَمَا يَوَدُّ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لَوۡ كَانُواْ مُسۡلِمِينَ
ऐसे समय आएँगे जब इनकार करनेवाले कामना करेंगे कि क्या ही अच्छा होता कि हम मुस्लिम (आज्ञाकारी) होते
Surah Al-Hijr, Verse 2
ذَرۡهُمۡ يَأۡكُلُواْ وَيَتَمَتَّعُواْ وَيُلۡهِهِمُ ٱلۡأَمَلُۖ فَسَوۡفَ يَعۡلَمُونَ
छोड़ो उन्हें खाएँ और मज़े उड़ाएँ और (लम्बी) आशा उन्हें भुलावे में डाले रखे। उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा
Surah Al-Hijr, Verse 3
وَمَآ أَهۡلَكۡنَا مِن قَرۡيَةٍ إِلَّا وَلَهَا كِتَابٞ مَّعۡلُومٞ
हमने जिस बस्ती को भी विनष्ट किया है, उसके लिए अनिवार्यतः एक निश्चित फ़ैसला रहा है
Surah Al-Hijr, Verse 4
مَّا تَسۡبِقُ مِنۡ أُمَّةٍ أَجَلَهَا وَمَا يَسۡتَـٔۡخِرُونَ
किसी समुदाय के लोग न अपने निश्चित समय से आगे बढ़ सकते है और न वे पीछे रह सकते है
Surah Al-Hijr, Verse 5
وَقَالُواْ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِي نُزِّلَ عَلَيۡهِ ٱلذِّكۡرُ إِنَّكَ لَمَجۡنُونٞ
वे कहते है, "ऐ व्यक्ति, जिसपर अनुस्मरण अवतरित हुआ, तुम निश्चय ही दीवाने हो
Surah Al-Hijr, Verse 6
لَّوۡمَا تَأۡتِينَا بِٱلۡمَلَـٰٓئِكَةِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
यदि तुम सच्चे हो तो हमारे समक्ष फ़रिश्तों को क्यों नहीं ले आते
Surah Al-Hijr, Verse 7
مَا نُنَزِّلُ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةَ إِلَّا بِٱلۡحَقِّ وَمَا كَانُوٓاْ إِذٗا مُّنظَرِينَ
फ़रिश्तों को हम केवल सत्य के प्रयोजन हेतु उतारते है और उस समय लोगों को मुहलत नहीं मिलेगी
Surah Al-Hijr, Verse 8
إِنَّا نَحۡنُ نَزَّلۡنَا ٱلذِّكۡرَ وَإِنَّا لَهُۥ لَحَٰفِظُونَ
यह अनुसरण निश्चय ही हमने अवतरित किया है और हम स्वयं इसके रक्षक हैं
Surah Al-Hijr, Verse 9
وَلَقَدۡ أَرۡسَلۡنَا مِن قَبۡلِكَ فِي شِيَعِ ٱلۡأَوَّلِينَ
तुमसे पहले कितने ही विगत गिरोंहों में हम रसूल भेज चुके है
Surah Al-Hijr, Verse 10
وَمَا يَأۡتِيهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا كَانُواْ بِهِۦ يَسۡتَهۡزِءُونَ
कोई भी रसूल उनके पास ऐसा नहीं आया, जिसका उन्होंने उपहास न किया हो
Surah Al-Hijr, Verse 11
كَذَٰلِكَ نَسۡلُكُهُۥ فِي قُلُوبِ ٱلۡمُجۡرِمِينَ
इसी तरह हम अपराधियों के दिलों में इसे उतारते है
Surah Al-Hijr, Verse 12
لَا يُؤۡمِنُونَ بِهِۦ وَقَدۡ خَلَتۡ سُنَّةُ ٱلۡأَوَّلِينَ
वे इसे मानेंगे नहीं। पहले के लोगों की मिसालें गुज़र चुकी हैं
Surah Al-Hijr, Verse 13
وَلَوۡ فَتَحۡنَا عَلَيۡهِم بَابٗا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ فَظَلُّواْ فِيهِ يَعۡرُجُونَ
यदि हम उनपर आकाश से कोई द्वार खोल दें और वे दिन-दहाड़े उसमें चढ़ने भी लगें
Surah Al-Hijr, Verse 14
لَقَالُوٓاْ إِنَّمَا سُكِّرَتۡ أَبۡصَٰرُنَا بَلۡ نَحۡنُ قَوۡمٞ مَّسۡحُورُونَ
फिर भी वे यही कहेंगे, "हमारी आँखें मदमाती हैं, बल्कि हम लोगों पर जादू कर दिया गया है
Surah Al-Hijr, Verse 15
وَلَقَدۡ جَعَلۡنَا فِي ٱلسَّمَآءِ بُرُوجٗا وَزَيَّنَّـٰهَا لِلنَّـٰظِرِينَ
हमने आकाश में बुर्ज (तारा-समूह) बनाए और हमने उसे देखनेवालों के लिए सुसज्जित भी किया
Surah Al-Hijr, Verse 16
وَحَفِظۡنَٰهَا مِن كُلِّ شَيۡطَٰنٖ رَّجِيمٍ
और हर फिटकारे हुए शैतान से उसे सुरक्षित रखा
Surah Al-Hijr, Verse 17
إِلَّا مَنِ ٱسۡتَرَقَ ٱلسَّمۡعَ فَأَتۡبَعَهُۥ شِهَابٞ مُّبِينٞ
यह और बात है कि किसी ने चोरी-छिपे कुछ सुनगुन ले लिया तो एक प्रत्यक्ष अग्निशिखा ने भी झपटकर उसका पीछा किया
Surah Al-Hijr, Verse 18
وَٱلۡأَرۡضَ مَدَدۡنَٰهَا وَأَلۡقَيۡنَا فِيهَا رَوَٰسِيَ وَأَنۢبَتۡنَا فِيهَا مِن كُلِّ شَيۡءٖ مَّوۡزُونٖ
और हमने धरती को फैलाया और उसमें अटल पहाड़ डाल दिए और उसमें हर चीज़ नपे-तुले अन्दाज़ में उगाई
Surah Al-Hijr, Verse 19
وَجَعَلۡنَا لَكُمۡ فِيهَا مَعَٰيِشَ وَمَن لَّسۡتُمۡ لَهُۥ بِرَٰزِقِينَ
और उसमें तुम्हारे गुज़र-बसर के सामान निर्मित किए, और उनको भी जिनको रोज़ी देनेवाले तुम नहीं हो
Surah Al-Hijr, Verse 20
وَإِن مِّن شَيۡءٍ إِلَّا عِندَنَا خَزَآئِنُهُۥ وَمَا نُنَزِّلُهُۥٓ إِلَّا بِقَدَرٖ مَّعۡلُومٖ
कोई भी चीज़ तो ऐसी नहीं है जिसके भंडार हमारे पास न हों, फिर भी हम उसे एक ज्ञात (निश्चिंत) मात्रा के साथ उतारते है
Surah Al-Hijr, Verse 21
وَأَرۡسَلۡنَا ٱلرِّيَٰحَ لَوَٰقِحَ فَأَنزَلۡنَا مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ فَأَسۡقَيۡنَٰكُمُوهُ وَمَآ أَنتُمۡ لَهُۥ بِخَٰزِنِينَ
हम ही वर्षा लानेवाली हवाओं को भेजते है। फिर आकाश से पानी बरसाते है और उससे तुम्हें सिंचित करते है। उसके ख़जानादार तुम नहीं हो
Surah Al-Hijr, Verse 22
وَإِنَّا لَنَحۡنُ نُحۡيِۦ وَنُمِيتُ وَنَحۡنُ ٱلۡوَٰرِثُونَ
हम ही जीवन और मृत्यु देते है और हम ही उत्तराधिकारी रह जाते है
Surah Al-Hijr, Verse 23
وَلَقَدۡ عَلِمۡنَا ٱلۡمُسۡتَقۡدِمِينَ مِنكُمۡ وَلَقَدۡ عَلِمۡنَا ٱلۡمُسۡتَـٔۡخِرِينَ
हम तुम्हारे पहले के लोगों को भी जानते है और बाद के आनेवालों को भी हम जानते है
Surah Al-Hijr, Verse 24
وَإِنَّ رَبَّكَ هُوَ يَحۡشُرُهُمۡۚ إِنَّهُۥ حَكِيمٌ عَلِيمٞ
तुम्हारा रब ही है, जो उन्हें इकट्ठा करेगा। निस्संदेह वह तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है
Surah Al-Hijr, Verse 25
وَلَقَدۡ خَلَقۡنَا ٱلۡإِنسَٰنَ مِن صَلۡصَٰلٖ مِّنۡ حَمَإٖ مَّسۡنُونٖ
हमने मनुष्य को सड़े हुए गारे की खनखनाती हुई मिट्टी से बनाया है
Surah Al-Hijr, Verse 26
وَٱلۡجَآنَّ خَلَقۡنَٰهُ مِن قَبۡلُ مِن نَّارِ ٱلسَّمُومِ
और उससे पहले हम जिन्नों को लू रूपी अग्नि से पैदा कर चुके थे
Surah Al-Hijr, Verse 27
وَإِذۡ قَالَ رَبُّكَ لِلۡمَلَـٰٓئِكَةِ إِنِّي خَٰلِقُۢ بَشَرٗا مِّن صَلۡصَٰلٖ مِّنۡ حَمَإٖ مَّسۡنُونٖ
याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा, "मैं सड़े हुए गारे की खनखनाती हुई मिट्टी से एक मनुष्य पैदा करनेवाला हूँ
Surah Al-Hijr, Verse 28
فَإِذَا سَوَّيۡتُهُۥ وَنَفَخۡتُ فِيهِ مِن رُّوحِي فَقَعُواْ لَهُۥ سَٰجِدِينَ
तो जब मैं उसे पूरा बना चुकूँ और उसमें अपनी रूह फूँक दूँ तो तुम उसके आगे सजदे में गिर जाना
Surah Al-Hijr, Verse 29
فَسَجَدَ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ كُلُّهُمۡ أَجۡمَعُونَ
अतएव सब के सब फ़रिश्तो ने सजदा किया
Surah Al-Hijr, Verse 30
إِلَّآ إِبۡلِيسَ أَبَىٰٓ أَن يَكُونَ مَعَ ٱلسَّـٰجِدِينَ
सिवाय इबलीस के। उसने सजदा करनेवालों के साथ शामिल होने से इनकार कर दिया
Surah Al-Hijr, Verse 31
قَالَ يَـٰٓإِبۡلِيسُ مَا لَكَ أَلَّا تَكُونَ مَعَ ٱلسَّـٰجِدِينَ
कहा, "ऐ इबलीस! तुझे क्या हुआ कि तू सजदा करनेवालों में शामिल नहीं हुआ
Surah Al-Hijr, Verse 32
قَالَ لَمۡ أَكُن لِّأَسۡجُدَ لِبَشَرٍ خَلَقۡتَهُۥ مِن صَلۡصَٰلٖ مِّنۡ حَمَإٖ مَّسۡنُونٖ
उसने कहा, "मैं ऐसा नहीं हूँ कि मैं उस मनुष्य को सजदा करूँ जिसको तू ने सड़े हुए गारे की खनखनाती हुए मिट्टी से बनाया।
Surah Al-Hijr, Verse 33
قَالَ فَٱخۡرُجۡ مِنۡهَا فَإِنَّكَ رَجِيمٞ
कहा, "अच्छा, तू निकल जा यहाँ से, क्योंकि तुझपर फिटकार है
Surah Al-Hijr, Verse 34
وَإِنَّ عَلَيۡكَ ٱللَّعۡنَةَ إِلَىٰ يَوۡمِ ٱلدِّينِ
निश्चय ही बदले के दिन तक तुझ पर धिक्कार है।
Surah Al-Hijr, Verse 35
قَالَ رَبِّ فَأَنظِرۡنِيٓ إِلَىٰ يَوۡمِ يُبۡعَثُونَ
उसने कहा, "मेरे रब! फिर तू मुझे उस दिन तक के लिए मुहलत दे, जबकि सब उठाए जाएँगे।
Surah Al-Hijr, Verse 36
قَالَ فَإِنَّكَ مِنَ ٱلۡمُنظَرِينَ
कहा, "अच्छा, तुझे मुहलत है
Surah Al-Hijr, Verse 37
إِلَىٰ يَوۡمِ ٱلۡوَقۡتِ ٱلۡمَعۡلُومِ
उस दिन तक के लिए जिसका समय ज्ञात एवं नियत है।
Surah Al-Hijr, Verse 38
قَالَ رَبِّ بِمَآ أَغۡوَيۡتَنِي لَأُزَيِّنَنَّ لَهُمۡ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَلَأُغۡوِيَنَّهُمۡ أَجۡمَعِينَ
उसने कहा, "मेरे रब! इसलिए कि तूने मुझे सीधे मार्ग से विचलित कर दिया है, अतः मैं भी धरती में उनके लिए मनमोहकता पैदा करूँगा और उन सबको बहकाकर रहूँगा
Surah Al-Hijr, Verse 39
إِلَّا عِبَادَكَ مِنۡهُمُ ٱلۡمُخۡلَصِينَ
सिवाय उनके जो तेरे चुने हुए बन्दे होंगे।
Surah Al-Hijr, Verse 40
قَالَ هَٰذَا صِرَٰطٌ عَلَيَّ مُسۡتَقِيمٌ
कहा, "मुझ तक पहुँचने का यही सीधा मार्ग है
Surah Al-Hijr, Verse 41
إِنَّ عِبَادِي لَيۡسَ لَكَ عَلَيۡهِمۡ سُلۡطَٰنٌ إِلَّا مَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلۡغَاوِينَ
मेरे बन्दों पर तो तेरा कुछ ज़ोर न चलेगा, सिवाय उन बहके हुए लोगों को जो तेरे पीछे हो लें
Surah Al-Hijr, Verse 42
وَإِنَّ جَهَنَّمَ لَمَوۡعِدُهُمۡ أَجۡمَعِينَ
निश्चय ही जहन्नम ही का ऐसे समस्त लोगों से वादा है
Surah Al-Hijr, Verse 43
لَهَا سَبۡعَةُ أَبۡوَٰبٖ لِّكُلِّ بَابٖ مِّنۡهُمۡ جُزۡءٞ مَّقۡسُومٌ
उसके सात द्वार है। प्रत्येक द्वार के लिए एक ख़ास हिस्सा होगा।
Surah Al-Hijr, Verse 44
إِنَّ ٱلۡمُتَّقِينَ فِي جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٍ
निस्संदेह डर रखनेवाले बाग़ों और स्रोतों में होंगे
Surah Al-Hijr, Verse 45
ٱدۡخُلُوهَا بِسَلَٰمٍ ءَامِنِينَ
प्रवेश करो इनमें निर्भयतापूर्वक सलामती के साथ
Surah Al-Hijr, Verse 46
وَنَزَعۡنَا مَا فِي صُدُورِهِم مِّنۡ غِلٍّ إِخۡوَٰنًا عَلَىٰ سُرُرٖ مُّتَقَٰبِلِينَ
उनके सीनों में जो मन-मुटाव होगा उसे हम दूर कर देंगे। वे भाई-भाई बनकर आमने-सामने तख़्तों पर होंगे
Surah Al-Hijr, Verse 47
لَا يَمَسُّهُمۡ فِيهَا نَصَبٞ وَمَا هُم مِّنۡهَا بِمُخۡرَجِينَ
उन्हें वहाँ न तो कोई थकान और तकलीफ़ पहुँचेगी औऱ न वे वहाँ से कभी निकाले ही जाएँगे
Surah Al-Hijr, Verse 48
۞نَبِّئۡ عِبَادِيٓ أَنِّيٓ أَنَا ٱلۡغَفُورُ ٱلرَّحِيمُ
मेरे बन्दों को सूचित कर दो कि मैं अत्यन्त क्षमाशील, दयावान हूँ
Surah Al-Hijr, Verse 49
وَأَنَّ عَذَابِي هُوَ ٱلۡعَذَابُ ٱلۡأَلِيمُ
और यह कि मेरी यातना भी अत्यन्त दुखदायिनी यातना है
Surah Al-Hijr, Verse 50
وَنَبِّئۡهُمۡ عَن ضَيۡفِ إِبۡرَٰهِيمَ
और उन्हें इबराहीम के अतिथियों का वृत्तान्त सुनाओ
Surah Al-Hijr, Verse 51
إِذۡ دَخَلُواْ عَلَيۡهِ فَقَالُواْ سَلَٰمٗا قَالَ إِنَّا مِنكُمۡ وَجِلُونَ
जब वे उसके यहाँ आए और उन्होंने सलाम किया तो उसने कहा, "हमें तो तुमसे डर लग रहा है।
Surah Al-Hijr, Verse 52
قَالُواْ لَا تَوۡجَلۡ إِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلَٰمٍ عَلِيمٖ
वे बोले, "डरो नहीं, हम तुम्हें एक ज्ञानवान पुत्र की शुभ सूचना देते है।
Surah Al-Hijr, Verse 53
قَالَ أَبَشَّرۡتُمُونِي عَلَىٰٓ أَن مَّسَّنِيَ ٱلۡكِبَرُ فَبِمَ تُبَشِّرُونَ
उसने कहा, "क्या तुम मुझे शुभ सूचना दे रहे हो, इस अवस्था में कि मेरा बुढापा आ गया है? तो अब मुझे किस बात की शुभ सूचना दे रहे हो
Surah Al-Hijr, Verse 54
قَالُواْ بَشَّرۡنَٰكَ بِٱلۡحَقِّ فَلَا تَكُن مِّنَ ٱلۡقَٰنِطِينَ
उन्होंने कहा, "हम तुम्हें सच्ची शुभ सूचना दे रहे हैं, तो तुम निराश न हो
Surah Al-Hijr, Verse 55
قَالَ وَمَن يَقۡنَطُ مِن رَّحۡمَةِ رَبِّهِۦٓ إِلَّا ٱلضَّآلُّونَ
उसने कहा, "अपने रब की दयालुता से पथभ्रष्टों के सिवा और कौन निराश होगा
Surah Al-Hijr, Verse 56
قَالَ فَمَا خَطۡبُكُمۡ أَيُّهَا ٱلۡمُرۡسَلُونَ
उसने कहा, "ऐ दूतो, तुम किस अभियान पर आए हो
Surah Al-Hijr, Verse 57
قَالُوٓاْ إِنَّآ أُرۡسِلۡنَآ إِلَىٰ قَوۡمٖ مُّجۡرِمِينَ
वे बोले, "हम तो एक अपराधी क़ौम की ओर भेजे गए है
Surah Al-Hijr, Verse 58
إِلَّآ ءَالَ لُوطٍ إِنَّا لَمُنَجُّوهُمۡ أَجۡمَعِينَ
सिवाय लूत के घरवालों के। उन सबको तो हम बचा लेंगे
Surah Al-Hijr, Verse 59
إِلَّا ٱمۡرَأَتَهُۥ قَدَّرۡنَآ إِنَّهَا لَمِنَ ٱلۡغَٰبِرِينَ
सिवाय उसकी पत्नी के - हमने निश्चित कर दिया है, वह तो पीछे रह जानेवालों में रहेंगी।
Surah Al-Hijr, Verse 60
فَلَمَّا جَآءَ ءَالَ لُوطٍ ٱلۡمُرۡسَلُونَ
फिर जब ये दूत लूत के यहाँ पहुँचे
Surah Al-Hijr, Verse 61
قَالَ إِنَّكُمۡ قَوۡمٞ مُّنكَرُونَ
तो उसने कहा, "तुम तो अपरिचित लोग हो।
Surah Al-Hijr, Verse 62
قَالُواْ بَلۡ جِئۡنَٰكَ بِمَا كَانُواْ فِيهِ يَمۡتَرُونَ
उन्होंने कहा, "नहीं, बल्कि हम तो तुम्हारे पास वही चीज़ लेकर आए है, जिसके विषय में वे सन्देह कर रहे थे
Surah Al-Hijr, Verse 63
وَأَتَيۡنَٰكَ بِٱلۡحَقِّ وَإِنَّا لَصَٰدِقُونَ
और हम तुम्हारे पास यक़ीनी चीज़ लेकर आए है, और हम बिलकुल सच कह रहे है
Surah Al-Hijr, Verse 64
فَأَسۡرِ بِأَهۡلِكَ بِقِطۡعٖ مِّنَ ٱلَّيۡلِ وَٱتَّبِعۡ أَدۡبَٰرَهُمۡ وَلَا يَلۡتَفِتۡ مِنكُمۡ أَحَدٞ وَٱمۡضُواْ حَيۡثُ تُؤۡمَرُونَ
अतएव अब तुम अपने घरवालों को लेकर रात्रि के किसी हिस्से में निकल जाओ, और स्वयं उन सबके पीछे-पीछे चलो। और तुममें से कोई भी पीछे मुड़कर न देखे। बस चले जाओ, जिधर का तुम्हे आदेश है।
Surah Al-Hijr, Verse 65
وَقَضَيۡنَآ إِلَيۡهِ ذَٰلِكَ ٱلۡأَمۡرَ أَنَّ دَابِرَ هَـٰٓؤُلَآءِ مَقۡطُوعٞ مُّصۡبِحِينَ
हमने उसे अपना यह फ़ैसला पहुँचा दिया कि प्रातः होते-होते उनकी जड़ कट चुकी होगी
Surah Al-Hijr, Verse 66
وَجَآءَ أَهۡلُ ٱلۡمَدِينَةِ يَسۡتَبۡشِرُونَ
इतने में नगर के लोग ख़ुश-ख़ुश आ पहुँचे
Surah Al-Hijr, Verse 67
قَالَ إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ ضَيۡفِي فَلَا تَفۡضَحُونِ
उसने कहा, "ये मेरे अतिथि है। मेरी फ़ज़ीहत मत करना
Surah Al-Hijr, Verse 68
وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَلَا تُخۡزُونِ
अल्लाह का डर ऱखो, मुझे रुसवा न करो।
Surah Al-Hijr, Verse 69
قَالُوٓاْ أَوَلَمۡ نَنۡهَكَ عَنِ ٱلۡعَٰلَمِينَ
उन्होंने कहा, "क्या हमने तुम्हें दुनिया भर के लोगों का ज़िम्मा लेने से रोका नहीं था
Surah Al-Hijr, Verse 70
قَالَ هَـٰٓؤُلَآءِ بَنَاتِيٓ إِن كُنتُمۡ فَٰعِلِينَ
उसने कहा, "तुमको यदि कुछ करना है, तो ये मेरी (क़ौम की) बेटियाँ (विधितः विवाह के लिए) मौजूद है।
Surah Al-Hijr, Verse 71
لَعَمۡرُكَ إِنَّهُمۡ لَفِي سَكۡرَتِهِمۡ يَعۡمَهُونَ
तुम्हारे जीवन की सौगन्ध, वे अपनी मस्ती में खोए हुए थे
Surah Al-Hijr, Verse 72
فَأَخَذَتۡهُمُ ٱلصَّيۡحَةُ مُشۡرِقِينَ
अन्ततः पौ फटते-फटते एक भयंकर आवाज़ ने उन्हें आ लिया
Surah Al-Hijr, Verse 73
فَجَعَلۡنَا عَٰلِيَهَا سَافِلَهَا وَأَمۡطَرۡنَا عَلَيۡهِمۡ حِجَارَةٗ مِّن سِجِّيلٍ
और हमने उस बस्ती को तलपट कर दिया, और उनपर कंकरीले पत्थर बरसाए
Surah Al-Hijr, Verse 74
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّلۡمُتَوَسِّمِينَ
निश्चय ही इसमें भापनेवालों के लिए निशानियाँ है
Surah Al-Hijr, Verse 75
وَإِنَّهَا لَبِسَبِيلٖ مُّقِيمٍ
और वह (बस्ती) सार्वजनिक मार्ग पर है
Surah Al-Hijr, Verse 76
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗ لِّلۡمُؤۡمِنِينَ
निश्चय ही इसमें मोमिनों के लिए एक बड़ी निशानी है
Surah Al-Hijr, Verse 77
وَإِن كَانَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡأَيۡكَةِ لَظَٰلِمِينَ
और निश्चय ही ऐसा वाले भी अत्याचारी थे
Surah Al-Hijr, Verse 78
فَٱنتَقَمۡنَا مِنۡهُمۡ وَإِنَّهُمَا لَبِإِمَامٖ مُّبِينٖ
फिर हमने उनसे भी बदला लिया, और ये दोनों (भू-भाग) खुले मार्ग पर स्थित है
Surah Al-Hijr, Verse 79
وَلَقَدۡ كَذَّبَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡحِجۡرِ ٱلۡمُرۡسَلِينَ
हिज्रवाले भी रसूलों को झुठला चुके है
Surah Al-Hijr, Verse 80
وَءَاتَيۡنَٰهُمۡ ءَايَٰتِنَا فَكَانُواْ عَنۡهَا مُعۡرِضِينَ
हमने तो उन्हें अपनी निशानियाँ प्रदान की थी, परन्तु वे उनकी उपेक्षा ही करते रहे
Surah Al-Hijr, Verse 81
وَكَانُواْ يَنۡحِتُونَ مِنَ ٱلۡجِبَالِ بُيُوتًا ءَامِنِينَ
वे बड़ी बेफ़िक्री से पहाड़ो को काट-काटकर घर बनाते थे
Surah Al-Hijr, Verse 82
فَأَخَذَتۡهُمُ ٱلصَّيۡحَةُ مُصۡبِحِينَ
अन्ततः एक भयानक आवाज़ ने प्रातः होते- होते उन्हें आ लिया
Surah Al-Hijr, Verse 83
فَمَآ أَغۡنَىٰ عَنۡهُم مَّا كَانُواْ يَكۡسِبُونَ
फिर जो कुछ वे कमाते रहे, वह उनके कुछ काम न आ सका
Surah Al-Hijr, Verse 84
وَمَا خَلَقۡنَا ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَيۡنَهُمَآ إِلَّا بِٱلۡحَقِّۗ وَإِنَّ ٱلسَّاعَةَ لَأٓتِيَةٞۖ فَٱصۡفَحِ ٱلصَّفۡحَ ٱلۡجَمِيلَ
हमने तो आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके मध्य है, सोद्देश्य पैदा किया है, और वह क़ियामत की घड़ी तो अनिवार्यतः आनेवाली है। अतः तुम भली प्रकार दरगुज़र (क्षमा) से काम लो
Surah Al-Hijr, Verse 85
إِنَّ رَبَّكَ هُوَ ٱلۡخَلَّـٰقُ ٱلۡعَلِيمُ
निश्चय ही तुम्हारा रब ही बड़ा पैदा करनेवाला, सब कुछ जाननेवाला है
Surah Al-Hijr, Verse 86
وَلَقَدۡ ءَاتَيۡنَٰكَ سَبۡعٗا مِّنَ ٱلۡمَثَانِي وَٱلۡقُرۡءَانَ ٱلۡعَظِيمَ
हमने तुम्हें सात 'मसानी' का समूह यानी महान क़ुरआन दिया
Surah Al-Hijr, Verse 87
لَا تَمُدَّنَّ عَيۡنَيۡكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعۡنَا بِهِۦٓ أَزۡوَٰجٗا مِّنۡهُمۡ وَلَا تَحۡزَنۡ عَلَيۡهِمۡ وَٱخۡفِضۡ جَنَاحَكَ لِلۡمُؤۡمِنِينَ
जो कुछ सुख-सामग्री हमने उनमें से विभिन्न प्रकार के लोगों को दी है, तुम उसपर अपनी आँखें न पसारो और न उनपर दुखी हो, तुम तो अपनी भुजाएँ मोमिनों के लिए झुकाए रखो
Surah Al-Hijr, Verse 88
وَقُلۡ إِنِّيٓ أَنَا ٱلنَّذِيرُ ٱلۡمُبِينُ
और कह दो, "मैं तो साफ़-साफ़ चेतावनी देनेवाला हूँ।
Surah Al-Hijr, Verse 89
كَمَآ أَنزَلۡنَا عَلَى ٱلۡمُقۡتَسِمِينَ
जिस प्रकार हमने हिस्सा-बख़रा करनेवालों पर उतारा था
Surah Al-Hijr, Verse 90
ٱلَّذِينَ جَعَلُواْ ٱلۡقُرۡءَانَ عِضِينَ
जिन्होंने (अपने) क़ुरआन को टुकड़े-टुकड़े कर डाला
Surah Al-Hijr, Verse 91
فَوَرَبِّكَ لَنَسۡـَٔلَنَّهُمۡ أَجۡمَعِينَ
अब तुम्हारे रब की क़सम! हम अवश्य ही उन सबसे उसके विषय में पूछेंगे
Surah Al-Hijr, Verse 92
عَمَّا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ
जो कुछ वे करते रहे।
Surah Al-Hijr, Verse 93
فَٱصۡدَعۡ بِمَا تُؤۡمَرُ وَأَعۡرِضۡ عَنِ ٱلۡمُشۡرِكِينَ
अतः तु्म्हें जिस चीज़ का आदेश हुआ है, उसे हाँक-पुकारकर बयान कर दो, और मुशरिको की ओर ध्यान न दो
Surah Al-Hijr, Verse 94
إِنَّا كَفَيۡنَٰكَ ٱلۡمُسۡتَهۡزِءِينَ
उपहास करनेवालों के लिए हम तुम्हारी ओर से काफ़ी है
Surah Al-Hijr, Verse 95
ٱلَّذِينَ يَجۡعَلُونَ مَعَ ٱللَّهِ إِلَٰهًا ءَاخَرَۚ فَسَوۡفَ يَعۡلَمُونَ
जो अल्लाह के साथ दूसरों को पूज्य-प्रभु ठहराते है, तो शीघ्र ही उन्हें मालूम हो जाएगा
Surah Al-Hijr, Verse 96
وَلَقَدۡ نَعۡلَمُ أَنَّكَ يَضِيقُ صَدۡرُكَ بِمَا يَقُولُونَ
हम जानते है कि वे जो कुछ कहते है, उससे तुम्हारा दिल तंग होता है
Surah Al-Hijr, Verse 97
فَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ وَكُن مِّنَ ٱلسَّـٰجِدِينَ
तो तुम अपने रब का गुणगान करो और सजदा करनेवालों में सम्मिलित रहो
Surah Al-Hijr, Verse 98
وَٱعۡبُدۡ رَبَّكَ حَتَّىٰ يَأۡتِيَكَ ٱلۡيَقِينُ
और अपने रब की बन्दगी में लगे रहो, यहाँ तक कि जो यक़ीनी है, वह तुम्हारे सामने आ जाए
Surah Al-Hijr, Verse 99