وَلَا تَقۡتُلُوٓاْ أَوۡلَٰدَكُمۡ خَشۡيَةَ إِمۡلَٰقٖۖ نَّحۡنُ نَرۡزُقُهُمۡ وَإِيَّاكُمۡۚ إِنَّ قَتۡلَهُمۡ كَانَ خِطۡـٔٗا كَبِيرٗا
और (लोगों) मुफलिसी (ग़रीबी) के ख़ौफ से अपनी औलाद को क़त्ल न करो (क्योंकि) उनको और तुम को (सबको) तो हम ही रोज़ी देते हैं बेशक औलाद का क़त्ल करना बहुत सख्त गुनाह है
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi