Surah Al-Isra Verse 33 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Israوَلَا تَقۡتُلُواْ ٱلنَّفۡسَ ٱلَّتِي حَرَّمَ ٱللَّهُ إِلَّا بِٱلۡحَقِّۗ وَمَن قُتِلَ مَظۡلُومٗا فَقَدۡ جَعَلۡنَا لِوَلِيِّهِۦ سُلۡطَٰنٗا فَلَا يُسۡرِف فِّي ٱلۡقَتۡلِۖ إِنَّهُۥ كَانَ مَنصُورٗا
और किसी प्राण को जिसे अल्लाह ने ह़राम (अवैध) किया है, वध न करो, परन्तु धर्म विधान[1] के अनुसार और जो अत्याचार से वध (निहत) किया गया, हमने उसके उत्तराधिकारी को अधिकार[2] प्रदान किया है। अतः वह वध करने में अतिक्रमण[3] न करे, वास्तव में, उसे सहायता दी गयी है।