Surah Al-Isra Verse 44 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Israتُسَبِّحُ لَهُ ٱلسَّمَٰوَٰتُ ٱلسَّبۡعُ وَٱلۡأَرۡضُ وَمَن فِيهِنَّۚ وَإِن مِّن شَيۡءٍ إِلَّا يُسَبِّحُ بِحَمۡدِهِۦ وَلَٰكِن لَّا تَفۡقَهُونَ تَسۡبِيحَهُمۡۚ إِنَّهُۥ كَانَ حَلِيمًا غَفُورٗا
उसकी पवित्रता का वर्णन कर रहे हैं सातों आकाश तथा धरती और जो कुछ उनमें है और नहीं है कोई चीज़ परन्तु वह उसकी प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का वर्णन कर रही है, किन्तु तुम उनके पवित्रता गान को समझते नहीं हो। वास्तव में, वह अति सहिष्णु, क्षमाशील है।