Surah Al-Isra Verse 44 - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
Surah Al-Israتُسَبِّحُ لَهُ ٱلسَّمَٰوَٰتُ ٱلسَّبۡعُ وَٱلۡأَرۡضُ وَمَن فِيهِنَّۚ وَإِن مِّن شَيۡءٍ إِلَّا يُسَبِّحُ بِحَمۡدِهِۦ وَلَٰكِن لَّا تَفۡقَهُونَ تَسۡبِيحَهُمۡۚ إِنَّهُۥ كَانَ حَلِيمًا غَفُورٗا
सातों आकाश और धरती और जो कोई भी उनमें है सब उसकी तसबीह (महिमागान) करते है और ऐसी कोई चीज़ नहीं जो उसका गुणगान न करती हो। किन्तु तुम उनकी तसबीह को समझते नहीं। निश्चय ही वह अत्यन्त सहनशील, क्षमावान है