Surah Al-Kahf Verse 57 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Kahfوَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّن ذُكِّرَ بِـَٔايَٰتِ رَبِّهِۦ فَأَعۡرَضَ عَنۡهَا وَنَسِيَ مَا قَدَّمَتۡ يَدَاهُۚ إِنَّا جَعَلۡنَا عَلَىٰ قُلُوبِهِمۡ أَكِنَّةً أَن يَفۡقَهُوهُ وَفِيٓ ءَاذَانِهِمۡ وَقۡرٗاۖ وَإِن تَدۡعُهُمۡ إِلَى ٱلۡهُدَىٰ فَلَن يَهۡتَدُوٓاْ إِذًا أَبَدٗا
और उससे बड़ा अत्याचारी कौन है, जिसे उसके पालनहार की आयतें सुनाई जायेँ, फिर (भी) उनसे मुँह फेर ले और अपने पहले किये हुए करतूत भूल जाये? वास्तव में, हमने उनके दिलों पर ऐसे आवरण (पर्दे) बना दिये हैं कि उसे[1] समझ न पायें और उनके कानों में बोझ। और यदि आप उन्हें सीधी राह की ओर बुलायें, तब (भी) कभी सीधी राह नहीं पा सकेंग।