Surah Al-Kahf Verse 57 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Al-Kahfوَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّن ذُكِّرَ بِـَٔايَٰتِ رَبِّهِۦ فَأَعۡرَضَ عَنۡهَا وَنَسِيَ مَا قَدَّمَتۡ يَدَاهُۚ إِنَّا جَعَلۡنَا عَلَىٰ قُلُوبِهِمۡ أَكِنَّةً أَن يَفۡقَهُوهُ وَفِيٓ ءَاذَانِهِمۡ وَقۡرٗاۖ وَإِن تَدۡعُهُمۡ إِلَى ٱلۡهُدَىٰ فَلَن يَهۡتَدُوٓاْ إِذًا أَبَدٗا
और उससे बढ़कर और कौन ज़ालिम होगा जिसको ख़ुदा की आयतें याद दिलाई जाए और वह उनसे रद गिरदानी (मुँह फेर ले) करे और अपने पहले करतूतों को जो उसके हाथों ने किए हैं भूल बैठे (गोया) हमने खुद उनके दिलों पर परदे डाल दिए हैं कि वह (हक़ बात को) न समझ सकें और (गोया) उनके कानों में गिरानी पैदा कर दी है कि (सुन न सकें) और अगर तुम उनको राहे रास्त की तरफ़ बुलाओ भी तो ये हरगिज़ कभी रुबरु होने वाले नहीं हैं