Surah Al-Kahf Verse 82 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Kahfوَأَمَّا ٱلۡجِدَارُ فَكَانَ لِغُلَٰمَيۡنِ يَتِيمَيۡنِ فِي ٱلۡمَدِينَةِ وَكَانَ تَحۡتَهُۥ كَنزٞ لَّهُمَا وَكَانَ أَبُوهُمَا صَٰلِحٗا فَأَرَادَ رَبُّكَ أَن يَبۡلُغَآ أَشُدَّهُمَا وَيَسۡتَخۡرِجَا كَنزَهُمَا رَحۡمَةٗ مِّن رَّبِّكَۚ وَمَا فَعَلۡتُهُۥ عَنۡ أَمۡرِيۚ ذَٰلِكَ تَأۡوِيلُ مَا لَمۡ تَسۡطِع عَّلَيۡهِ صَبۡرٗا
और रही दीवार, तो वह दो अनाथ बालकों की थी और उसके भीतर उनका कोष था और उनके माता-पिता पुनीत थे, तो तेरे पालनहार ने चाहा कि वे दोनों अपनी युवा अवस्था को पहुँचें और अपना कोष निकालें, तेरे पालनहार की दया से और मैंने ये अपने विचार तथा अधिकार से नहीं किया[1]। ये उसकी वास्तविक्ता है, जिसे तुम सहन नहीं कर सके।