صِبۡغَةَ ٱللَّهِ وَمَنۡ أَحۡسَنُ مِنَ ٱللَّهِ صِبۡغَةٗۖ وَنَحۡنُ لَهُۥ عَٰبِدُونَ
तुम सब अल्लाह के रंग[1] (स्वभाविक धर्म) को ग्रहण कर लो और अल्लाह के रंग से अच्छा किसका रंग होगा? हम तो उसी की इबादत (वंदना) करते हैं।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari