أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ ٱشۡتَرَوُاْ ٱلضَّلَٰلَةَ بِٱلۡهُدَىٰ وَٱلۡعَذَابَ بِٱلۡمَغۡفِرَةِۚ فَمَآ أَصۡبَرَهُمۡ عَلَى ٱلنَّارِ
यही वे लोग हैं, जिन्होंने सुपथ (मार्गदर्शन) के बदले कुपथ खरीद लिया है तथा क्षमा के बदले यातना। तो नरक की अग्नि पर वे कितने सहनशील हैं
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari