فَمَنۡ خَافَ مِن مُّوصٖ جَنَفًا أَوۡ إِثۡمٗا فَأَصۡلَحَ بَيۡنَهُمۡ فَلَآ إِثۡمَ عَلَيۡهِۚ إِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٞ رَّحِيمٞ
फिर जिसे डर हो कि वसिय्यत करने वाले ने पक्षपात या अत्याचार किया है, फिर उसने उनके बीच सुधार करा दिया, तो उसपर कोई पाप नहीं। निश्चय अल्लाह अति क्षमाशील तथा दयावान् है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari