Surah Al-Baqara Verse 184 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Baqaraأَيَّامٗا مَّعۡدُودَٰتٖۚ فَمَن كَانَ مِنكُم مَّرِيضًا أَوۡ عَلَىٰ سَفَرٖ فَعِدَّةٞ مِّنۡ أَيَّامٍ أُخَرَۚ وَعَلَى ٱلَّذِينَ يُطِيقُونَهُۥ فِدۡيَةٞ طَعَامُ مِسۡكِينٖۖ فَمَن تَطَوَّعَ خَيۡرٗا فَهُوَ خَيۡرٞ لَّهُۥۚ وَأَن تَصُومُواْ خَيۡرٞ لَّكُمۡ إِن كُنتُمۡ تَعۡلَمُونَ
वह गिनती के कुछ दिन हैं। फिर यदि तुममें से कोई रोगी अथवा यात्रा पर हो, तो ये गिनती, दूसरे दिनों से पूरी करे और जो उस रोज़े को सहन न कर सके[1], वह फ़िद्या (प्रायश्चित्त) दे, जो एक निर्धन को खाना खिलाना है और जो स्वेच्छा भलाई करे, वह उसके लिए अच्छी बात है। यदी तुम समझो, तो तुम्हारे लिए रोज़ा रखना ही अच्छा है।