ثُمَّ أَفِيضُواْ مِنۡ حَيۡثُ أَفَاضَ ٱلنَّاسُ وَٱسۡتَغۡفِرُواْ ٱللَّهَۚ إِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٞ رَّحِيمٞ
फिर तुम[1] भी वहीं से फिरो, जहाँ से लोग फिरते हैं तथा अल्लाह से क्षमा माँगो। निश्चय अल्लाह अति क्षमाशील, दयावान् है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari