وَإِذَا قِيلَ لَهُ ٱتَّقِ ٱللَّهَ أَخَذَتۡهُ ٱلۡعِزَّةُ بِٱلۡإِثۡمِۚ فَحَسۡبُهُۥ جَهَنَّمُۖ وَلَبِئۡسَ ٱلۡمِهَادُ
तथा जब उससे कहा जाता है कि अल्लाह से डर, तो अभिमान उसे पाप पर उभार देता है। अतः उसके (दण्ड) के लिए नरक काफ़ी है और वह बहुत बुरा बिछौना है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari