Surah Al-Baqara Verse 216 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Baqaraكُتِبَ عَلَيۡكُمُ ٱلۡقِتَالُ وَهُوَ كُرۡهٞ لَّكُمۡۖ وَعَسَىٰٓ أَن تَكۡرَهُواْ شَيۡـٔٗا وَهُوَ خَيۡرٞ لَّكُمۡۖ وَعَسَىٰٓ أَن تُحِبُّواْ شَيۡـٔٗا وَهُوَ شَرّٞ لَّكُمۡۚ وَٱللَّهُ يَعۡلَمُ وَأَنتُمۡ لَا تَعۡلَمُونَ
(हे ईमान वालो!) तुमपर युध्द करना अनिवार्य कर दिया गया है, ह़लाँकि वह तुम्हें अप्रिय है। हो सकता है कि कोई चीज़ तुम्हें अप्रिय हो और वही तुम्हारे लिए अच्छी हो और इसी प्रकार सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें प्रिय हो और वह तुम्हारे लिए बुरी हो। अल्लाह जानता है और तुम नहीं[1] जानते।