لِّلَّذِينَ يُؤۡلُونَ مِن نِّسَآئِهِمۡ تَرَبُّصُ أَرۡبَعَةِ أَشۡهُرٖۖ فَإِن فَآءُو فَإِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٞ رَّحِيمٞ
तथा जो लोग अपनी पत्नियों से संभोग न करने की शपथ लेते हों, वे चार महीने प्रतीक्षा करें। फिर[1] यदि (इस बीच) अपनी शपथ से फिर जायें, तो अल्लाह अति क्षमाशील, दयावान् है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari