Surah Al-Baqara Verse 232 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Baqaraوَإِذَا طَلَّقۡتُمُ ٱلنِّسَآءَ فَبَلَغۡنَ أَجَلَهُنَّ فَلَا تَعۡضُلُوهُنَّ أَن يَنكِحۡنَ أَزۡوَٰجَهُنَّ إِذَا تَرَٰضَوۡاْ بَيۡنَهُم بِٱلۡمَعۡرُوفِۗ ذَٰلِكَ يُوعَظُ بِهِۦ مَن كَانَ مِنكُمۡ يُؤۡمِنُ بِٱللَّهِ وَٱلۡيَوۡمِ ٱلۡأٓخِرِۗ ذَٰلِكُمۡ أَزۡكَىٰ لَكُمۡ وَأَطۡهَرُۚ وَٱللَّهُ يَعۡلَمُ وَأَنتُمۡ لَا تَعۡلَمُونَ
और जब तुम अपनी पत्नियों को (तीन से कम) तलाक़ दो और वे अपनी निश्चित अवधि (इद्दत) पूरी कर लें, तो (स्त्रियों के संरक्षको!) उन्हें अपने पतियों से विवाह करने से न रोको, जबकि सामान्य नियमानुसार वे आपस में विवाह करने पर सहमत हों, ये तुममें से उसे निर्देश दिया जा रहा है, जो अल्लाह तथा अंतिम दिन (प्रलय) पर ईमान (विश्वास) रखता है, यही तुम्हारे लिए अधिक स्वच्छ तथा पवित्र है और अल्लाह जानता है, तुम नहीं जानते।