Surah Al-Baqara Verse 265 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Baqaraوَمَثَلُ ٱلَّذِينَ يُنفِقُونَ أَمۡوَٰلَهُمُ ٱبۡتِغَآءَ مَرۡضَاتِ ٱللَّهِ وَتَثۡبِيتٗا مِّنۡ أَنفُسِهِمۡ كَمَثَلِ جَنَّةِۭ بِرَبۡوَةٍ أَصَابَهَا وَابِلٞ فَـَٔاتَتۡ أُكُلَهَا ضِعۡفَيۡنِ فَإِن لَّمۡ يُصِبۡهَا وَابِلٞ فَطَلّٞۗ وَٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ بَصِيرٌ
तथा उनकी उपमा, जो अपना धन अल्लाह की प्रसन्नता की इच्छा में अपने मन की स्थिरता के साथ दान करते हैं, उस बाग़ (उद्यान) जैसी है, जो पृथ्वी तल के किसी ऊँचे भाग पर हो, उसपर घोर वर्षा हुई, तो दोगुना फल लाया और यदि घोर वर्षा नहीं हुई, तो (उसके लिए) फुहार ही बस[1] हो तथा तुम जो कुछ कर रहे हो, उसे अल्लाह देख रहा है।