وَإِذۡ قَتَلۡتُمۡ نَفۡسٗا فَٱدَّـٰرَ ٰٔتُمۡ فِيهَاۖ وَٱللَّهُ مُخۡرِجٞ مَّا كُنتُمۡ تَكۡتُمُونَ
और (याद करो) जब तुमने एक व्यक्ति की हत्या कर दी तथा एक-दूसरे पर (दोष) थोपने लगे और अल्लाह को उसे व्यक्त करना था, जिसे तुम छुपा रहे थे।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari