तथा सभी के सिर झुक जायेंगे, जीवित नित्य स्थायी (अल्लाह) के लिए और निश्चय वह निष्फल हो गया, जिसने अत्याचार लाद[1] लिया।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari