Surah Taha - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
طه
ता, हा।
Surah Taha, Verse 1
مَآ أَنزَلۡنَا عَلَيۡكَ ٱلۡقُرۡءَانَ لِتَشۡقَىٰٓ
हमने नहीं अवतरित किया है आपपर क़ुर्आन इस लिए कि आप दुःखी हों[1]।
Surah Taha, Verse 2
إِلَّا تَذۡكِرَةٗ لِّمَن يَخۡشَىٰ
परन्तु ये उसकी शिक्षा के लिए है, जो डरता[1] हो।
Surah Taha, Verse 3
تَنزِيلٗا مِّمَّنۡ خَلَقَ ٱلۡأَرۡضَ وَٱلسَّمَٰوَٰتِ ٱلۡعُلَى
उतारा जाना उस ओर से है, जिसने उत्पत्ति की है धरती तथा उच्च आकाशों की।
Surah Taha, Verse 4
ٱلرَّحۡمَٰنُ عَلَى ٱلۡعَرۡشِ ٱسۡتَوَىٰ
जो अत्यंत कृपाशील, अर्श पर स्थिर है।
Surah Taha, Verse 5
لَهُۥ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَمَا فِي ٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَا وَمَا تَحۡتَ ٱلثَّرَىٰ
उसी का[1] है, जो आकाशों, जो धरती में, जो दोनों के बीच तथा जो भूमि के नीचे है।
Surah Taha, Verse 6
وَإِن تَجۡهَرۡ بِٱلۡقَوۡلِ فَإِنَّهُۥ يَعۡلَمُ ٱلسِّرَّ وَأَخۡفَى
यदि तुम उच्च स्वर में बात करो, तो वास्तव में, वह जानता है भेद को तथा अत्यधिक छुपे भेद को।
Surah Taha, Verse 7
ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَۖ لَهُ ٱلۡأَسۡمَآءُ ٱلۡحُسۡنَىٰ
वही अल्लाह है, नहीं है कोई वंदनीय (पूज्य) परन्तु वही। उसी के उत्तम नाम हैं।
Surah Taha, Verse 8
وَهَلۡ أَتَىٰكَ حَدِيثُ مُوسَىٰٓ
और (हे नबी!) क्या आपको मूसा की बात पहुँची
Surah Taha, Verse 9
إِذۡ رَءَا نَارٗا فَقَالَ لِأَهۡلِهِ ٱمۡكُثُوٓاْ إِنِّيٓ ءَانَسۡتُ نَارٗا لَّعَلِّيٓ ءَاتِيكُم مِّنۡهَا بِقَبَسٍ أَوۡ أَجِدُ عَلَى ٱلنَّارِ هُدٗى
जब उसने देखी एक अग्नि, फिर कहा अपने परिवार सेः रुको, मैंने एक अग्नि देखी है, सम्भव है कि मैं तुम्हारे पास उसका कोई अंगार लाऊँ अथवा पा जाऊँ आग पर मार्ग की कोई सूचना[1]।
Surah Taha, Verse 10
فَلَمَّآ أَتَىٰهَا نُودِيَ يَٰمُوسَىٰٓ
फिर जब वहाँ पहुँचा, तो पुकारा गयाः हे मूसा
Surah Taha, Verse 11
إِنِّيٓ أَنَا۠ رَبُّكَ فَٱخۡلَعۡ نَعۡلَيۡكَ إِنَّكَ بِٱلۡوَادِ ٱلۡمُقَدَّسِ طُوٗى
वास्तव में, मैं ही तेरा पालनहार हूँ, तू उतार दे अपने दोनों जूते, क्योंकि तू पवित्र वादी (उपत्यका) "तुवा" में है।
Surah Taha, Verse 12
وَأَنَا ٱخۡتَرۡتُكَ فَٱسۡتَمِعۡ لِمَا يُوحَىٰٓ
और मैंने तुझे चुन[1] लिया है। अतः ध्यान से सुन, जो वह़्यी की जा रही है।
Surah Taha, Verse 13
إِنَّنِيٓ أَنَا ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّآ أَنَا۠ فَٱعۡبُدۡنِي وَأَقِمِ ٱلصَّلَوٰةَ لِذِكۡرِيٓ
निःसंदेह मैं ही अल्लाह हूँ, मेरे सिवा कोई पूज्य नहीं, तो मेरी ही इबादत (वंदना) कर तथा मेरे स्मरण (याद) के लिए नमाज़ की स्थापना[1] कर।
Surah Taha, Verse 14
إِنَّ ٱلسَّاعَةَ ءَاتِيَةٌ أَكَادُ أُخۡفِيهَا لِتُجۡزَىٰ كُلُّ نَفۡسِۭ بِمَا تَسۡعَىٰ
निश्चय प्रलय आने वाली है, मैं उसे गुप्त रखना चाहता हूँ, ताकि प्रतिकार (बदला) दिया जाये, प्रत्येक प्राणी को उसके प्रयास के अनुसार।
Surah Taha, Verse 15
فَلَا يَصُدَّنَّكَ عَنۡهَا مَن لَّا يُؤۡمِنُ بِهَا وَٱتَّبَعَ هَوَىٰهُ فَتَرۡدَىٰ
अतः, तुम्हें न रोक दे, उस ( के विश्वास) से, जो उसपर ईमान (विश्वास) नहीं रखता और अनुसरण किया अपनी इच्छा का, अन्यथा तेरा नाश हो जायेगा।
Surah Taha, Verse 16
وَمَا تِلۡكَ بِيَمِينِكَ يَٰمُوسَىٰ
और हे मूसा! ये तेरे दाहिने हाथ में क्या है
Surah Taha, Verse 17
قَالَ هِيَ عَصَايَ أَتَوَكَّؤُاْ عَلَيۡهَا وَأَهُشُّ بِهَا عَلَىٰ غَنَمِي وَلِيَ فِيهَا مَـَٔارِبُ أُخۡرَىٰ
उत्तर दियाः ये मेरी लाठी है; मैं इसपर सहारा लेता हूँ, इससे अपनी बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ तथा मेरी इसमें दूसरी आवश्यक्तायें (भी) हैं।
Surah Taha, Verse 18
قَالَ أَلۡقِهَا يَٰمُوسَىٰ
कहाः इसे फेंकिए, हे मूसा
Surah Taha, Verse 19
فَأَلۡقَىٰهَا فَإِذَا هِيَ حَيَّةٞ تَسۡعَىٰ
तो उसने उसे फेंक दिया और सहसा वह एक सर्प थी, जो दोड़ रहा था।
Surah Taha, Verse 20
قَالَ خُذۡهَا وَلَا تَخَفۡۖ سَنُعِيدُهَا سِيرَتَهَا ٱلۡأُولَىٰ
कहाः पकड़ ले इसे, और डर नहीं, हम इसे फेर देंगे, इसकी प्रथम स्थिति की ओर।
Surah Taha, Verse 21
وَٱضۡمُمۡ يَدَكَ إِلَىٰ جَنَاحِكَ تَخۡرُجۡ بَيۡضَآءَ مِنۡ غَيۡرِ سُوٓءٍ ءَايَةً أُخۡرَىٰ
और अपना हाथ लगा दे अपनी कांख (बग़ल) की ओर, वह निकलेगा चमकता हुआ बिना किसी रोग के, ये दूसरा चमत्कार है।
Surah Taha, Verse 22
لِنُرِيَكَ مِنۡ ءَايَٰتِنَا ٱلۡكُبۡرَى
ताकि हम तुझे दिखायें, अपनी बड़ी निशानियाँ।
Surah Taha, Verse 23
ٱذۡهَبۡ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ
तुम फ़िरऔन के पास जाओ, वह विद्रोही हो गया है।
Surah Taha, Verse 24
قَالَ رَبِّ ٱشۡرَحۡ لِي صَدۡرِي
मूसा ने प्रार्थना कीः हे मेरे पालनहार! खोल दे, मेरे लिए मेरा सीना।
Surah Taha, Verse 25
وَيَسِّرۡ لِيٓ أَمۡرِي
तथा सरल कर दे, मेरे लिए मेरा काम।
Surah Taha, Verse 26
وَٱحۡلُلۡ عُقۡدَةٗ مِّن لِّسَانِي
और खोल दे, मेरी ज़ुबान की गाँठ।
Surah Taha, Verse 27
يَفۡقَهُواْ قَوۡلِي
ताकि लोग मेरी बात समझें।
Surah Taha, Verse 28
وَٱجۡعَل لِّي وَزِيرٗا مِّنۡ أَهۡلِي
तथा बना दे, मेरा एक सहायक मेरे परिवार में से।
Surah Taha, Verse 29
هَٰرُونَ أَخِي
मेरे भीई हारून को।
Surah Taha, Verse 30
ٱشۡدُدۡ بِهِۦٓ أَزۡرِي
उसके द्वारा दृढ़ कर दे मेरी शक्ति को।
Surah Taha, Verse 31
وَأَشۡرِكۡهُ فِيٓ أَمۡرِي
और साझी बना दे, उसे मेरे काम में।
Surah Taha, Verse 32
كَيۡ نُسَبِّحَكَ كَثِيرٗا
ताकि हम दोनों तेरी पवित्रता का गान अधिक करें।
Surah Taha, Verse 33
وَنَذۡكُرَكَ كَثِيرًا
तथा तुझे अधिक स्मरण (याद) करें।
Surah Taha, Verse 34
إِنَّكَ كُنتَ بِنَا بَصِيرٗا
निःसंदेह, तू हमें भली प्रकार देखने-भालने वाला है।
Surah Taha, Verse 35
قَالَ قَدۡ أُوتِيتَ سُؤۡلَكَ يَٰمُوسَىٰ
अल्लाह ने कहाः हे मूसा! तेरी सब माँग पूरी कर दी गयी।
Surah Taha, Verse 36
وَلَقَدۡ مَنَنَّا عَلَيۡكَ مَرَّةً أُخۡرَىٰٓ
और हम उपकार कर चुके हैं तुमपर एक बार और[1] (भी)।
Surah Taha, Verse 37
إِذۡ أَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰٓ أُمِّكَ مَا يُوحَىٰٓ
जब हमने उतार दिया, तेरी माँ के दिल में, जिसकी वह़्यी (प्रकाश्ना) की जा रही है।
Surah Taha, Verse 38
أَنِ ٱقۡذِفِيهِ فِي ٱلتَّابُوتِ فَٱقۡذِفِيهِ فِي ٱلۡيَمِّ فَلۡيُلۡقِهِ ٱلۡيَمُّ بِٱلسَّاحِلِ يَأۡخُذۡهُ عَدُوّٞ لِّي وَعَدُوّٞ لَّهُۥۚ وَأَلۡقَيۡتُ عَلَيۡكَ مَحَبَّةٗ مِّنِّي وَلِتُصۡنَعَ عَلَىٰ عَيۡنِيٓ
कि इसे रख दे ताबूत (सन्दूक़) में, फिर उसे नदी में डाल दे, फिर नदी उसे किनारे लगा देगी, जिसे उठा लेगा मेरा शत्रु तथा उसका शत्रु[1] और मैंने डाल दिया तुझपर अपनी ओर से विशेष[2] प्रेम, ताकि तेरा पालन-पोषण मेरी रक्षा में हो।
Surah Taha, Verse 39
إِذۡ تَمۡشِيٓ أُخۡتُكَ فَتَقُولُ هَلۡ أَدُلُّكُمۡ عَلَىٰ مَن يَكۡفُلُهُۥۖ فَرَجَعۡنَٰكَ إِلَىٰٓ أُمِّكَ كَيۡ تَقَرَّ عَيۡنُهَا وَلَا تَحۡزَنَۚ وَقَتَلۡتَ نَفۡسٗا فَنَجَّيۡنَٰكَ مِنَ ٱلۡغَمِّ وَفَتَنَّـٰكَ فُتُونٗاۚ فَلَبِثۡتَ سِنِينَ فِيٓ أَهۡلِ مَدۡيَنَ ثُمَّ جِئۡتَ عَلَىٰ قَدَرٖ يَٰمُوسَىٰ
जब चल रही थी तेरी बहन[1], फिर कह रही थीः क्या मैं तुम्हें उसे बता दूँ, जो इसका लालन-पालन करे? फिर हमने पुनः तुम्हें पहुँचा दिया तुम्हारी माँ के पास, ताकि उसकी आँख ठण्डी हो और उदासीन न हो तथा हे मूसा! तूने मार दिया एक व्यक्ति को, तो हमने तुझे मुक्त कर दिया चिन्ता[2] से और हमने तेरी भली-भाँति परीक्षा ली। फिर तू रह गया वर्षों मद्यन के लोगों में, फिर तू (मद्यन से) अपने निश्चित समय पर आ गया।
Surah Taha, Verse 40
وَٱصۡطَنَعۡتُكَ لِنَفۡسِي
और मैंने बना लिया है तुझे विश्ष अपने लिए।
Surah Taha, Verse 41
ٱذۡهَبۡ أَنتَ وَأَخُوكَ بِـَٔايَٰتِي وَلَا تَنِيَا فِي ذِكۡرِي
जा तू और तेरा भाई, मेरी निशानियाँ लेकर और दोनों आलस्य न करना मेरे स्मरण (याद) में।
Surah Taha, Verse 42
ٱذۡهَبَآ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ
तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ, वास्तव में, वह उल्लंघन कर गया है।
Surah Taha, Verse 43
فَقُولَا لَهُۥ قَوۡلٗا لَّيِّنٗا لَّعَلَّهُۥ يَتَذَكَّرُ أَوۡ يَخۡشَىٰ
फिर उससे कोमल बोल बोलो, कदाचित् वह शिक्षा ग्रहण करे अथवा डरे।
Surah Taha, Verse 44
قَالَا رَبَّنَآ إِنَّنَا نَخَافُ أَن يَفۡرُطَ عَلَيۡنَآ أَوۡ أَن يَطۡغَىٰ
दोनों ने कहाः हे हमारे पालनहार! हमें भय है कि वह हमपर अत्याचार अथवा अतिक्रमण कर दे।
Surah Taha, Verse 45
قَالَ لَا تَخَافَآۖ إِنَّنِي مَعَكُمَآ أَسۡمَعُ وَأَرَىٰ
उस (अल्लाह) ने कहाः तुम भय न करो, मैं तुम दोनों के साथ हूँ, सुनता तथा देखता हूँ।
Surah Taha, Verse 46
فَأۡتِيَاهُ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولَا رَبِّكَ فَأَرۡسِلۡ مَعَنَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ وَلَا تُعَذِّبۡهُمۡۖ قَدۡ جِئۡنَٰكَ بِـَٔايَةٖ مِّن رَّبِّكَۖ وَٱلسَّلَٰمُ عَلَىٰ مَنِ ٱتَّبَعَ ٱلۡهُدَىٰٓ
तुम उसके पास जाओ और कहो कि हम तेरे पालनहार के रसूल हैं। अतः, हमारे साथ बनी इस्राईल को जाने दे और उन्हें यातना न दे, हम तेरे पास तेरे पालनहार की निशानी लाये हैं और शान्ति उसके लिए है, जो मार्गदर्शन का अनुसरण करे।
Surah Taha, Verse 47
إِنَّا قَدۡ أُوحِيَ إِلَيۡنَآ أَنَّ ٱلۡعَذَابَ عَلَىٰ مَن كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ
वास्तव में, हमारी ओर वह़्यी (प्रकाशना) की गई है कि यातना उसी के लिए है, जो झुठलाये और मुख फेरे।
Surah Taha, Verse 48
قَالَ فَمَن رَّبُّكُمَا يَٰمُوسَىٰ
उसने कहाः हे मूसा! कौन है तुम दोनों का पालनहार
Surah Taha, Verse 49
قَالَ رَبُّنَا ٱلَّذِيٓ أَعۡطَىٰ كُلَّ شَيۡءٍ خَلۡقَهُۥ ثُمَّ هَدَىٰ
मूसा ने कहाः हमारा पालनहार वह है, जिसने प्रत्येक वस्तु को उसका विशेष रूप प्रदान किया, फिर मार्गदर्शन[1] दिया।
Surah Taha, Verse 50
قَالَ فَمَا بَالُ ٱلۡقُرُونِ ٱلۡأُولَىٰ
उसने कहाः फिर उनकी दशा क्या होनी है, जो पूर्व के लोग हैं
Surah Taha, Verse 51
قَالَ عِلۡمُهَا عِندَ رَبِّي فِي كِتَٰبٖۖ لَّا يَضِلُّ رَبِّي وَلَا يَنسَى
मूसा ने कहाः उसका ज्ञान मेरे पालनहार के पास एक लेख्य में सुरक्षित है, मेरा पालनहार न तो चूकता है और न[1] भूलता है।
Surah Taha, Verse 52
ٱلَّذِي جَعَلَ لَكُمُ ٱلۡأَرۡضَ مَهۡدٗا وَسَلَكَ لَكُمۡ فِيهَا سُبُلٗا وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ فَأَخۡرَجۡنَا بِهِۦٓ أَزۡوَٰجٗا مِّن نَّبَاتٖ شَتَّىٰ
जिसने तुम्हारे लिए धरती को बिस्तर बनाया और तुम्हारे चलने के लिए उसमें मार्ग बनाये और तुम्हारे लिए आकाश से जल बरसाया, फिर उसके द्वारा विभिन्न प्रकार की उपज निकाली।
Surah Taha, Verse 53
كُلُواْ وَٱرۡعَوۡاْ أَنۡعَٰمَكُمۡۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّأُوْلِي ٱلنُّهَىٰ
तुम स्वयं खाओ तथा अपने पशुओं को चराओ, वस्तुतः, इसमें बहुत-सी निशानियाँ हैं बुध्दिमानों के लिए।
Surah Taha, Verse 54
۞مِنۡهَا خَلَقۡنَٰكُمۡ وَفِيهَا نُعِيدُكُمۡ وَمِنۡهَا نُخۡرِجُكُمۡ تَارَةً أُخۡرَىٰ
इसी (धरती) से हमने तुम्हारी उत्पत्ति की है, इसीमें तुम्हें वापस ले जायेंगे और इसीसे तुम सबको पुनः[1] निकालेंगे।
Surah Taha, Verse 55
وَلَقَدۡ أَرَيۡنَٰهُ ءَايَٰتِنَا كُلَّهَا فَكَذَّبَ وَأَبَىٰ
और हमने उसे दिखा दी अपनी सभी निशानियाँ, फिर भी उसने झुठला दिया और नहीं माना।
Surah Taha, Verse 56
قَالَ أَجِئۡتَنَا لِتُخۡرِجَنَا مِنۡ أَرۡضِنَا بِسِحۡرِكَ يَٰمُوسَىٰ
उसने कहाः क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि हमें हमारी धरती (देश) से अपने जादू (के बल) से निकाल दे, हे मूसा
Surah Taha, Verse 57
فَلَنَأۡتِيَنَّكَ بِسِحۡرٖ مِّثۡلِهِۦ فَٱجۡعَلۡ بَيۡنَنَا وَبَيۡنَكَ مَوۡعِدٗا لَّا نُخۡلِفُهُۥ نَحۡنُ وَلَآ أَنتَ مَكَانٗا سُوٗى
फिर तो हम तेरे पास अवश्य इसीके समान जादू लायेंगे, अतः हमारे और अपने बीच एक समय निर्धारित कर ले, जिसके विरुध्द न हम करेंगे और न तुम, एक खुले मैदान में।
Surah Taha, Verse 58
قَالَ مَوۡعِدُكُمۡ يَوۡمُ ٱلزِّينَةِ وَأَن يُحۡشَرَ ٱلنَّاسُ ضُحٗى
मूसा ने कहाः तुम्हारा निर्धारित समय शोभा (उत्सव) का दिन[1] है तथा ये कि लोग दिन चढ़े एकत्र हो जायेँ।
Surah Taha, Verse 59
فَتَوَلَّىٰ فِرۡعَوۡنُ فَجَمَعَ كَيۡدَهُۥ ثُمَّ أَتَىٰ
फिर फ़िरऔन लौट गया,[1] अपने हथकण्डे एकत्र किये और फिर आया।
Surah Taha, Verse 60
قَالَ لَهُم مُّوسَىٰ وَيۡلَكُمۡ لَا تَفۡتَرُواْ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبٗا فَيُسۡحِتَكُم بِعَذَابٖۖ وَقَدۡ خَابَ مَنِ ٱفۡتَرَىٰ
मूसा ने उन (जादूगरों) से कहाः तुम्हारा विनाश हो! अल्लाह पर मिथ्या आरोप न लगाओ कि वह तुम्हारा किसी यातना द्वारा सर्वनाश कर दे और वह निष्फल ही रहा है, जिसने मिथ्यारोपण किया।
Surah Taha, Verse 61
فَتَنَٰزَعُوٓاْ أَمۡرَهُم بَيۡنَهُمۡ وَأَسَرُّواْ ٱلنَّجۡوَىٰ
फिर[1] उनके बीच विवाद हो गया और वे चुपके-चुपके गुप्त मंत्रणा करने लगे।
Surah Taha, Verse 62
قَالُوٓاْ إِنۡ هَٰذَٰنِ لَسَٰحِرَٰنِ يُرِيدَانِ أَن يُخۡرِجَاكُم مِّنۡ أَرۡضِكُم بِسِحۡرِهِمَا وَيَذۡهَبَا بِطَرِيقَتِكُمُ ٱلۡمُثۡلَىٰ
कुछ ने कहाः ये दोनों वास्तव में, जादूगर हैं, दोनों चाहते हैं कि तुम्हें तुम्हारी धरती से अपने जादू द्वारा निकाल दें और तुम्हारी आदर्श प्रणाली का अन्त कर दें।
Surah Taha, Verse 63
فَأَجۡمِعُواْ كَيۡدَكُمۡ ثُمَّ ٱئۡتُواْ صَفّٗاۚ وَقَدۡ أَفۡلَحَ ٱلۡيَوۡمَ مَنِ ٱسۡتَعۡلَىٰ
अतः अपने सब उपाय एकत्र कर लो, फिर एक पंक्ति में होकर आ जाओ और आज वही सफल हो गया, जो ऊपर रहा।
Surah Taha, Verse 64
قَالُواْ يَٰمُوسَىٰٓ إِمَّآ أَن تُلۡقِيَ وَإِمَّآ أَن نَّكُونَ أَوَّلَ مَنۡ أَلۡقَىٰ
उन्होंने कहाः हे मूसा! तू फेंकता है या पहले हम फेंकें
Surah Taha, Verse 65
قَالَ بَلۡ أَلۡقُواْۖ فَإِذَا حِبَالُهُمۡ وَعِصِيُّهُمۡ يُخَيَّلُ إِلَيۡهِ مِن سِحۡرِهِمۡ أَنَّهَا تَسۡعَىٰ
मूसा ने कहाः बल्कि तुम्हीं फेंको। फिर उनकी रस्सियाँ तथा लाठियाँ उसे लग रही थीं कि उनके जादू (के बल) से दौड़ रही हैं।
Surah Taha, Verse 66
فَأَوۡجَسَ فِي نَفۡسِهِۦ خِيفَةٗ مُّوسَىٰ
इससे मूसा अपने मन में डर गया[1]।
Surah Taha, Verse 67
قُلۡنَا لَا تَخَفۡ إِنَّكَ أَنتَ ٱلۡأَعۡلَىٰ
हमने कहाः डर मत, तूही ऊपर रहेगा।
Surah Taha, Verse 68
وَأَلۡقِ مَا فِي يَمِينِكَ تَلۡقَفۡ مَا صَنَعُوٓاْۖ إِنَّمَا صَنَعُواْ كَيۡدُ سَٰحِرٖۖ وَلَا يُفۡلِحُ ٱلسَّاحِرُ حَيۡثُ أَتَىٰ
और फेंक दे, जो तेरे दायें हाथ में है, वह निगल जायेगा, जो कुछ उन्होंने बनाया है। वह केवल जादू का स्वाँग बनाकर लाए हैं तथा जादूगर सफल नहीं होता, जहाँ से आये।
Surah Taha, Verse 69
فَأُلۡقِيَ ٱلسَّحَرَةُ سُجَّدٗا قَالُوٓاْ ءَامَنَّا بِرَبِّ هَٰرُونَ وَمُوسَىٰ
अन्ततः, जादूगर सज्दे में गिर गये, उन्होंने कहा कि हम ईमान लाये हारून तथा मूसा के पालनहार पर।
Surah Taha, Verse 70
قَالَ ءَامَنتُمۡ لَهُۥ قَبۡلَ أَنۡ ءَاذَنَ لَكُمۡۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِي عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحۡرَۖ فَلَأُقَطِّعَنَّ أَيۡدِيَكُمۡ وَأَرۡجُلَكُم مِّنۡ خِلَٰفٖ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمۡ فِي جُذُوعِ ٱلنَّخۡلِ وَلَتَعۡلَمُنَّ أَيُّنَآ أَشَدُّ عَذَابٗا وَأَبۡقَىٰ
फ़िरऔन बालाः क्या तुमने उसका विश्वास कर लिया, इससे पूर्व कि मैं तुम्हें आज्ञा दूँ? वास्तव में, वह तुम्हारा बड़ा (गुरू) है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है। तो मैं अवश्य कटवा दूँगा तुम्हारे हाथों तथा पावों को, विपरीत दिशा[1] से और तुम्हें सूली दे दूँगा खजूर के तनों पर तथा तुम्हें अवश्य ज्ञान हो जायेगा कि हममें से किसकी यातना अधिक कड़ी तथा स्थायी है।
Surah Taha, Verse 71
قَالُواْ لَن نُّؤۡثِرَكَ عَلَىٰ مَا جَآءَنَا مِنَ ٱلۡبَيِّنَٰتِ وَٱلَّذِي فَطَرَنَاۖ فَٱقۡضِ مَآ أَنتَ قَاضٍۖ إِنَّمَا تَقۡضِي هَٰذِهِ ٱلۡحَيَوٰةَ ٱلدُّنۡيَآ
उन्होंने कहाः हम तुझे कभी उन खुली निशानियों (तर्कों) पर प्रधानता नहीं देंगे, जो हमारे पास आ गयी हैं और न उस (अल्लाह) पर, जिसने हमें पैदा किया है, तू जो करना चाहे, कर ले, तू बस इसी सांसारिक जीवन में आदेश दे सकता है।
Surah Taha, Verse 72
إِنَّآ ءَامَنَّا بِرَبِّنَا لِيَغۡفِرَ لَنَا خَطَٰيَٰنَا وَمَآ أَكۡرَهۡتَنَا عَلَيۡهِ مِنَ ٱلسِّحۡرِۗ وَٱللَّهُ خَيۡرٞ وَأَبۡقَىٰٓ
हम तो अपने पालनहार पर ईमान लाये हैं, ताकि वह क्षमा कर दे, हमारे लिए, हमारे पापों को तथा जिस जादू पर तूने हमें बाध्य किया और अल्लाह सर्वोत्तम तथा अनन्त[1] है।
Surah Taha, Verse 73
إِنَّهُۥ مَن يَأۡتِ رَبَّهُۥ مُجۡرِمٗا فَإِنَّ لَهُۥ جَهَنَّمَ لَا يَمُوتُ فِيهَا وَلَا يَحۡيَىٰ
वास्तव में, जो जायेगा अपने पालनहार के पास पापी बनकर, तो उसी के लिए नरक है, जिसमें न वह मरेगा और न जीवित रहेगा[1]।
Surah Taha, Verse 74
وَمَن يَأۡتِهِۦ مُؤۡمِنٗا قَدۡ عَمِلَ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ فَأُوْلَـٰٓئِكَ لَهُمُ ٱلدَّرَجَٰتُ ٱلۡعُلَىٰ
तथा जो उसके पास ईमान लेकर आयेगा, तो उन्हीं के लिए उच्च श्रेणियाँ होंगी।
Surah Taha, Verse 75
جَنَّـٰتُ عَدۡنٖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَاۚ وَذَٰلِكَ جَزَآءُ مَن تَزَكَّىٰ
स्थायी स्वर्ग, जिनमें नहरें बहती होंगी, जिनमें सदा वासी होंगे और यही उसका प्रतिफल है, जो पवित्र हो गया।
Surah Taha, Verse 76
وَلَقَدۡ أَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنۡ أَسۡرِ بِعِبَادِي فَٱضۡرِبۡ لَهُمۡ طَرِيقٗا فِي ٱلۡبَحۡرِ يَبَسٗا لَّا تَخَٰفُ دَرَكٗا وَلَا تَخۡشَىٰ
और हमने मूसी की ओर वह़्यी की कि रातों-रात चल पड़ मेरे भक्तों को लेकर और उनके लिए सागर में सूखा मार्ग बना ले[1], तुझे पा लिए जाने का कोई भय नहीं होगा और न डरेगा।
Surah Taha, Verse 77
فَأَتۡبَعَهُمۡ فِرۡعَوۡنُ بِجُنُودِهِۦ فَغَشِيَهُم مِّنَ ٱلۡيَمِّ مَا غَشِيَهُمۡ
फिर उनका पीछा किया फ़िरऔन ने अपनी सेना के साथ, तो उनपर सागर छा गया, जैसा कुछ छा गया।
Surah Taha, Verse 78
وَأَضَلَّ فِرۡعَوۡنُ قَوۡمَهُۥ وَمَا هَدَىٰ
और कुपथ कर दिया फ़िरऔन ने अपनी जाति को और सुपथ नहीं दिखाया।
Surah Taha, Verse 79
يَٰبَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ قَدۡ أَنجَيۡنَٰكُم مِّنۡ عَدُوِّكُمۡ وَوَٰعَدۡنَٰكُمۡ جَانِبَ ٱلطُّورِ ٱلۡأَيۡمَنَ وَنَزَّلۡنَا عَلَيۡكُمُ ٱلۡمَنَّ وَٱلسَّلۡوَىٰ
हे इस्राईल के पुत्रो! हमने तुम्हें मुक्त कर दिया तुम्हारे शत्रु से और वचन दिया तुम्हें तूर पर्वत से दाहिनी[1] ओर का तथा तुमपर उतारा "मन्न" तथा "सल्वा"[2]।
Surah Taha, Verse 80
كُلُواْ مِن طَيِّبَٰتِ مَا رَزَقۡنَٰكُمۡ وَلَا تَطۡغَوۡاْ فِيهِ فَيَحِلَّ عَلَيۡكُمۡ غَضَبِيۖ وَمَن يَحۡلِلۡ عَلَيۡهِ غَضَبِي فَقَدۡ هَوَىٰ
खाओ उन स्वच्छ चीज़ों में से, जो जीविका हमने तुम्हें दी है तथा उल्लंघन न करो उसमें, अन्यथा उतर जायेगा तुमपर मेरा प्रकोप तथा जिसपर उतर जायेगा मेरा प्रकोप, तो निःसंदेह वह गिर गया।
Surah Taha, Verse 81
وَإِنِّي لَغَفَّارٞ لِّمَن تَابَ وَءَامَنَ وَعَمِلَ صَٰلِحٗا ثُمَّ ٱهۡتَدَىٰ
और मैं निश्चय बड़ा क्षमाशील हूँ उसके लिए, जिसने क्षमा याचना की तथा ईमान लाया और सदाचार किया फिर सुपथ पर रहा।
Surah Taha, Verse 82
۞وَمَآ أَعۡجَلَكَ عَن قَوۡمِكَ يَٰمُوسَىٰ
और हे मूसा! क्या चीज़ तुम्हें ले आई अपनी जाति से पहले
Surah Taha, Verse 83
قَالَ هُمۡ أُوْلَآءِ عَلَىٰٓ أَثَرِي وَعَجِلۡتُ إِلَيۡكَ رَبِّ لِتَرۡضَىٰ
उसने कहाः वे मेरे पीछे आ ही रहे हैं और मैं तेरी सेवा में शीघ्र आ गया, हे मेरे पालनहार! ताकि तू प्रसन्न हो जाये।
Surah Taha, Verse 84
قَالَ فَإِنَّا قَدۡ فَتَنَّا قَوۡمَكَ مِنۢ بَعۡدِكَ وَأَضَلَّهُمُ ٱلسَّامِرِيُّ
अल्लाह ने कहाः हमने परीक्षा में डाल दिया तेरी जाति को तेरे (आने के) पश्चात् और कुपथ कर दिया है उन्हें सामरी[1] ने।
Surah Taha, Verse 85
فَرَجَعَ مُوسَىٰٓ إِلَىٰ قَوۡمِهِۦ غَضۡبَٰنَ أَسِفٗاۚ قَالَ يَٰقَوۡمِ أَلَمۡ يَعِدۡكُمۡ رَبُّكُمۡ وَعۡدًا حَسَنًاۚ أَفَطَالَ عَلَيۡكُمُ ٱلۡعَهۡدُ أَمۡ أَرَدتُّمۡ أَن يَحِلَّ عَلَيۡكُمۡ غَضَبٞ مِّن رَّبِّكُمۡ فَأَخۡلَفۡتُم مَّوۡعِدِي
तो मूसा वापस आया अपनी जाति की ओर अति क्रुध्द-शोकातुर होकर। उसने कहाः हे मेरी जाति के लोगो! क्या तुम्हें वचन नहीं दिया था तुम्हारे पालनहार ने एक अच्छा वचन[1]? तो क्या तुम्हें बहुत दिन लग[2] गये? अथवा तुमने चाहा कि उतर जाये कोई प्रकोप तुम्हारे पालनहार की ओर से? अतः तुमने मेरे वचन[3] को भंग कर दिया।
Surah Taha, Verse 86
قَالُواْ مَآ أَخۡلَفۡنَا مَوۡعِدَكَ بِمَلۡكِنَا وَلَٰكِنَّا حُمِّلۡنَآ أَوۡزَارٗا مِّن زِينَةِ ٱلۡقَوۡمِ فَقَذَفۡنَٰهَا فَكَذَٰلِكَ أَلۡقَى ٱلسَّامِرِيُّ
उन्होंने उत्तर दिया हमने नहीं भंग किया है तेरा वचन अपनी इच्छा से, परन्तु हमपर लाद दिया गया था जाति[1] के आभूषणों का बोझ, तो हमने उसे फेंक[2] दिया और ऐसे ही फेंक[3] दिया सामरी ने।
Surah Taha, Verse 87
فَأَخۡرَجَ لَهُمۡ عِجۡلٗا جَسَدٗا لَّهُۥ خُوَارٞ فَقَالُواْ هَٰذَآ إِلَٰهُكُمۡ وَإِلَٰهُ مُوسَىٰ فَنَسِيَ
फिर वह[1] निकाल लाया उनके लिए एक बछड़े की मूर्ति, जिसकी गाय जैसी ध्वनि (आवाज़) थी, तो सबने कहाः ये है तुम्हारा पूज्य तथा मूसा का पूज्य, (परन्तु) मूसा इसे भूल गया है।
Surah Taha, Verse 88
أَفَلَا يَرَوۡنَ أَلَّا يَرۡجِعُ إِلَيۡهِمۡ قَوۡلٗا وَلَا يَمۡلِكُ لَهُمۡ ضَرّٗا وَلَا نَفۡعٗا
तो क्या वे नहीं देखते कि वह न उनकी किसी बात की उत्तर देता है और न अधिकार रखता है, उनके लिए किसी हानि का, न किसी लाभ का
Surah Taha, Verse 89
وَلَقَدۡ قَالَ لَهُمۡ هَٰرُونُ مِن قَبۡلُ يَٰقَوۡمِ إِنَّمَا فُتِنتُم بِهِۦۖ وَإِنَّ رَبَّكُمُ ٱلرَّحۡمَٰنُ فَٱتَّبِعُونِي وَأَطِيعُوٓاْ أَمۡرِي
और कह दिया था हारून ने इससे पहले ही कि हे मेरी जाति के लोगो! तुम्हारी परीक्षा की गयी है इसके द्वारा और वास्तव में तुम्हारा पालनहार अत्यंत कृपाशील है। अतः मेरा अनुसरण करो तथा मेरे आदेश का पालन करो।
Surah Taha, Verse 90
قَالُواْ لَن نَّبۡرَحَ عَلَيۡهِ عَٰكِفِينَ حَتَّىٰ يَرۡجِعَ إِلَيۡنَا مُوسَىٰ
उन्होंने कहाः हमसब उसी के पुजारी रहेंगे, जब तक (तूर से) हमारे पास मूसा वापस न आ जाये।
Surah Taha, Verse 91
قَالَ يَٰهَٰرُونُ مَا مَنَعَكَ إِذۡ رَأَيۡتَهُمۡ ضَلُّوٓاْ
मूसा ने कहाः हे हारून! किस बात ने तुझे रोक दिया, जब तूने उन्हें देखा कि कुपथ हो गये
Surah Taha, Verse 92
أَلَّا تَتَّبِعَنِۖ أَفَعَصَيۡتَ أَمۡرِي
कि मेरा अनुसरण न करे? क्या तूने अवज्ञा कर दी मेरे आदेश की
Surah Taha, Verse 93
قَالَ يَبۡنَؤُمَّ لَا تَأۡخُذۡ بِلِحۡيَتِي وَلَا بِرَأۡسِيٓۖ إِنِّي خَشِيتُ أَن تَقُولَ فَرَّقۡتَ بَيۡنَ بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ وَلَمۡ تَرۡقُبۡ قَوۡلِي
उसने कहाः मेरे माँ जाये भाई! मेरी दाढ़ी न पकड़ और न मेरा सिर। वास्तव में, मुझे भय हुआ कि आप कहेंगे कि तूने विभेद उत्पन्न कर दिया बनी इस्राईल में और[1] प्रतीक्षा नहीं की मेरी बात (आदेश) की।
Surah Taha, Verse 94
قَالَ فَمَا خَطۡبُكَ يَٰسَٰمِرِيُّ
(मूसा ने) पूछाः तेरा समाचार क्या है, हे सामरी
Surah Taha, Verse 95
قَالَ بَصُرۡتُ بِمَا لَمۡ يَبۡصُرُواْ بِهِۦ فَقَبَضۡتُ قَبۡضَةٗ مِّنۡ أَثَرِ ٱلرَّسُولِ فَنَبَذۡتُهَا وَكَذَٰلِكَ سَوَّلَتۡ لِي نَفۡسِي
उसने कहाः मैंने वह चीज़ देखी, जिसे उन्होंने नहीं देखा, तो मैंने ले ली एक मुट्ठी रसूल के पद्चिन्ह से, फिर उसे फेंक दिया और इसी प्रकार सुझा दिया मुझे[1] मेरे मन ने।
Surah Taha, Verse 96
قَالَ فَٱذۡهَبۡ فَإِنَّ لَكَ فِي ٱلۡحَيَوٰةِ أَن تَقُولَ لَا مِسَاسَۖ وَإِنَّ لَكَ مَوۡعِدٗا لَّن تُخۡلَفَهُۥۖ وَٱنظُرۡ إِلَىٰٓ إِلَٰهِكَ ٱلَّذِي ظَلۡتَ عَلَيۡهِ عَاكِفٗاۖ لَّنُحَرِّقَنَّهُۥ ثُمَّ لَنَنسِفَنَّهُۥ فِي ٱلۡيَمِّ نَسۡفًا
मूसा ने कहाः जा तेरे लिए जीवन में ये होना है कि तू कहता रहेः मुझे स्पर्श न करना[1]। तथा तेरे लिए एक और[2] वचन है, जिसके विरुध्द कदापि न होगा और अपने पूज्य को देख, जिसका पुजारी बना रहा, हम अवश्य उसे जला देंगे, फिर उसे उड़ा देंगे नदी में चूर-चूर करके।
Surah Taha, Verse 97
إِنَّمَآ إِلَٰهُكُمُ ٱللَّهُ ٱلَّذِي لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَۚ وَسِعَ كُلَّ شَيۡءٍ عِلۡمٗا
निःसंदेह तुम सभी का पूज्य, बस अल्लाह है, कोई पूज्य नहीं है, उसके सिवा। वह समोये हुए है, प्रत्येक वस्तु को (अपने) ज्ञान में।
Surah Taha, Verse 98
كَذَٰلِكَ نَقُصُّ عَلَيۡكَ مِنۡ أَنۢبَآءِ مَا قَدۡ سَبَقَۚ وَقَدۡ ءَاتَيۡنَٰكَ مِن لَّدُنَّا ذِكۡرٗا
इसी प्रकार, (हे नबी!) हम आपके समक्ष विगत समाचारों में से कुछ का वर्णन कर रहे हैं और हमने आपको प्रदान कर दी है अपने पास से एक शिक्षा (क़ुर्आन)।
Surah Taha, Verse 99
مَّنۡ أَعۡرَضَ عَنۡهُ فَإِنَّهُۥ يَحۡمِلُ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ وِزۡرًا
जो उससे मुँह फेरेगा, तो वह निश्चय प्रलय के दिन लादे हुए होगा, भारी[1] बोझ।
Surah Taha, Verse 100
خَٰلِدِينَ فِيهِۖ وَسَآءَ لَهُمۡ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ حِمۡلٗا
वे सदा रहन वाले होंगे उसमें और प्रलय के दिन उनके लिए बुरा बोझ होगा।
Surah Taha, Verse 101
يَوۡمَ يُنفَخُ فِي ٱلصُّورِۚ وَنَحۡشُرُ ٱلۡمُجۡرِمِينَ يَوۡمَئِذٖ زُرۡقٗا
जिस दिन फूंक दिया जायेगा सूर[1] (नरसिंघा) में, और हम एकत्र कर देंगे उस दिन पापियों को, इस दशा में कि उनकी आँखें (भय से) नीली होंगी।
Surah Taha, Verse 102
يَتَخَٰفَتُونَ بَيۡنَهُمۡ إِن لَّبِثۡتُمۡ إِلَّا عَشۡرٗا
वे आपस में चुपके-चुपके कहेंगे कि तुम (संसार में) बस दस दिन रहे हो।
Surah Taha, Verse 103
نَّحۡنُ أَعۡلَمُ بِمَا يَقُولُونَ إِذۡ يَقُولُ أَمۡثَلُهُمۡ طَرِيقَةً إِن لَّبِثۡتُمۡ إِلَّا يَوۡمٗا
हम भली-भाँति जानते हैं, जो कुछ वे कहेंगे, जिस समय कहेगा उनमें से सबसे चतुर कि तुम केवल एक ही दिन रहे[1] हो।
Surah Taha, Verse 104
وَيَسۡـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلۡجِبَالِ فَقُلۡ يَنسِفُهَا رَبِّي نَسۡفٗا
वे आपसे प्रश्न कर रहे हैं पर्वतों के संबन्ध में? आप कह दें कि उड़ा देगा उन्हें मेरा पालनहार चूर-चूर करके।
Surah Taha, Verse 105
فَيَذَرُهَا قَاعٗا صَفۡصَفٗا
फिर धरती को छोड़ देगा, समतल मैदान बनाकर।
Surah Taha, Verse 106
لَّا تَرَىٰ فِيهَا عِوَجٗا وَلَآ أَمۡتٗا
तुम नहीं देखोगे उसमें कोई टेढ़ापन और न नीच-ऊँच।
Surah Taha, Verse 107
يَوۡمَئِذٖ يَتَّبِعُونَ ٱلدَّاعِيَ لَا عِوَجَ لَهُۥۖ وَخَشَعَتِ ٱلۡأَصۡوَاتُ لِلرَّحۡمَٰنِ فَلَا تَسۡمَعُ إِلَّا هَمۡسٗا
उस दिन लोग पीछे चलेंगे पुकारने वाले के, कोई उससे कतरायेगा नहीं और धीमी हो जायेँगी आवाजें अत्यंत कृपाशील के लिए, फिर तुम नहीं सुनोगे कानाफूँसी की आवाज़ के सिवा।
Surah Taha, Verse 108
يَوۡمَئِذٖ لَّا تَنفَعُ ٱلشَّفَٰعَةُ إِلَّا مَنۡ أَذِنَ لَهُ ٱلرَّحۡمَٰنُ وَرَضِيَ لَهُۥ قَوۡلٗا
उस दिन लाभ नहीं देगी सिफ़ारिश, परन्तु जिसे आज्ञा दे अत्यंत कृपाशील और प्रसन्न हो उसके[1] लिए बात करने से।
Surah Taha, Verse 109
يَعۡلَمُ مَا بَيۡنَ أَيۡدِيهِمۡ وَمَا خَلۡفَهُمۡ وَلَا يُحِيطُونَ بِهِۦ عِلۡمٗا
वह जानता है, जो कुछ उनके आगे तथा पीछे है और वे उसका पूरा ज्ञान नहीं रखते।
Surah Taha, Verse 110
۞وَعَنَتِ ٱلۡوُجُوهُ لِلۡحَيِّ ٱلۡقَيُّومِۖ وَقَدۡ خَابَ مَنۡ حَمَلَ ظُلۡمٗا
तथा सभी के सिर झुक जायेंगे, जीवित नित्य स्थायी (अल्लाह) के लिए और निश्चय वह निष्फल हो गया, जिसने अत्याचार लाद[1] लिया।
Surah Taha, Verse 111
وَمَن يَعۡمَلۡ مِنَ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ وَهُوَ مُؤۡمِنٞ فَلَا يَخَافُ ظُلۡمٗا وَلَا هَضۡمٗا
तथा जो सदाचार करेगा और वह ईमान वाला भी हो, तो वह नहीं डरेगा अत्याचार से, न अधिकार हनन से।
Surah Taha, Verse 112
وَكَذَٰلِكَ أَنزَلۡنَٰهُ قُرۡءَانًا عَرَبِيّٗا وَصَرَّفۡنَا فِيهِ مِنَ ٱلۡوَعِيدِ لَعَلَّهُمۡ يَتَّقُونَ أَوۡ يُحۡدِثُ لَهُمۡ ذِكۡرٗا
और इसी प्रकार, हमने इस अरबी क़ुर्आन को अवतरित किया है तथा विभिन्न प्रकार से वर्णन कर दिया है उसमें चेतावनी का, ताकि लोग आज्ञाकारी हो जायेँ अथवा वह उनके लिए उत्पन्न कर दे एक शिक्षा।
Surah Taha, Verse 113
فَتَعَٰلَى ٱللَّهُ ٱلۡمَلِكُ ٱلۡحَقُّۗ وَلَا تَعۡجَلۡ بِٱلۡقُرۡءَانِ مِن قَبۡلِ أَن يُقۡضَىٰٓ إِلَيۡكَ وَحۡيُهُۥۖ وَقُل رَّبِّ زِدۡنِي عِلۡمٗا
अतः, उच्च है अल्लाह वास्तविक स्वामी और (हे नबी!) आप शीघ्रता[1] न करें क़ुर्आन के साथ इससे पूर्व कि पूरी कर दी जाये आपकी ओर इसकी वह़्यी (प्रकाशना) तथा प्रार्थना करें कि हे मेरे पालनहार! मुझे अधिक ज्ञान प्रदान कर।
Surah Taha, Verse 114
وَلَقَدۡ عَهِدۡنَآ إِلَىٰٓ ءَادَمَ مِن قَبۡلُ فَنَسِيَ وَلَمۡ نَجِدۡ لَهُۥ عَزۡمٗا
और हमने आदेश दिया आदम को इससे पहले, तो वह भूल गया और हमने नहीं पाया उसमें कोई दृढ़ संकल्प[1]।
Surah Taha, Verse 115
وَإِذۡ قُلۡنَا لِلۡمَلَـٰٓئِكَةِ ٱسۡجُدُواْ لِأٓدَمَ فَسَجَدُوٓاْ إِلَّآ إِبۡلِيسَ أَبَىٰ
तथा जब हमने कहा फ़रिश्तों से कि सज्दा करो आदम को, तो सबने सज्दा किया इब्लीस के सिवा, उसने इन्कार कर दिया।
Surah Taha, Verse 116
فَقُلۡنَا يَـٰٓـَٔادَمُ إِنَّ هَٰذَا عَدُوّٞ لَّكَ وَلِزَوۡجِكَ فَلَا يُخۡرِجَنَّكُمَا مِنَ ٱلۡجَنَّةِ فَتَشۡقَىٰٓ
तब हमने कहाः हे आदम! वास्तव में, ये शत्रु है तेरा और तेरी पत्नी का, तो ऐसा न हो कि तुम दोनों को निकलवा दे स्वर्ग से और तू आपदा में पड़ जाये।
Surah Taha, Verse 117
إِنَّ لَكَ أَلَّا تَجُوعَ فِيهَا وَلَا تَعۡرَىٰ
यहाँ तुझे ये सुविधा है कि न भूखा रहता है और न नग्न रहता है।
Surah Taha, Verse 118
وَأَنَّكَ لَا تَظۡمَؤُاْ فِيهَا وَلَا تَضۡحَىٰ
और न प्यासा होता है और न तुझे धूप सताती है।
Surah Taha, Verse 119
فَوَسۡوَسَ إِلَيۡهِ ٱلشَّيۡطَٰنُ قَالَ يَـٰٓـَٔادَمُ هَلۡ أَدُلُّكَ عَلَىٰ شَجَرَةِ ٱلۡخُلۡدِ وَمُلۡكٖ لَّا يَبۡلَىٰ
तो फुसलाया उसे शैतान ने, कहाः हे आदम! क्या मैं तुझे न बताऊँ, शाश्वत जीवन का वृक्ष तथा ऐसा राज्य, जो पतनशील न हो
Surah Taha, Verse 120
فَأَكَلَا مِنۡهَا فَبَدَتۡ لَهُمَا سَوۡءَٰتُهُمَا وَطَفِقَا يَخۡصِفَانِ عَلَيۡهِمَا مِن وَرَقِ ٱلۡجَنَّةِۚ وَعَصَىٰٓ ءَادَمُ رَبَّهُۥ فَغَوَىٰ
तो दोनों ने उस (वृक्ष) से खा लिया, फिर उनके गुप्तांग उन दोनों के लिए खुल गये और दोनों चिपकाने लगे अपने ऊपर स्वर्ग के पत्ते और आदम अवज्ञा कर गया अपने पालनहार की और कुपथ हो गया।
Surah Taha, Verse 121
ثُمَّ ٱجۡتَبَٰهُ رَبُّهُۥ فَتَابَ عَلَيۡهِ وَهَدَىٰ
फिर उस (अल्लाह) ने उसे चुन लिया और उसे क्षमा कर दिया और सुपथ दिखा दिया।
Surah Taha, Verse 122
قَالَ ٱهۡبِطَا مِنۡهَا جَمِيعَۢاۖ بَعۡضُكُمۡ لِبَعۡضٍ عَدُوّٞۖ فَإِمَّا يَأۡتِيَنَّكُم مِّنِّي هُدٗى فَمَنِ ٱتَّبَعَ هُدَايَ فَلَا يَضِلُّ وَلَا يَشۡقَىٰ
कहाः तुम दोनों (आदम तथा शैतान) यहाँ से उतर जाओ, तुम एक-दूसरे के शत्रु हो। अब यदि आये तुम्हारे पास मेरी ओर से मार्गदर्शन, तो जो अनुपालन करेगा मेरे मार्गदर्शन का, वह कुपथ नहीं होगा और न दुर्भाग्य ग्रस्त होगा।
Surah Taha, Verse 123
وَمَنۡ أَعۡرَضَ عَن ذِكۡرِي فَإِنَّ لَهُۥ مَعِيشَةٗ ضَنكٗا وَنَحۡشُرُهُۥ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ أَعۡمَىٰ
तथा जो मुख फेर लेगा मेरे स्मरण से, तो उसी का सांसारिक जीवन संकीर्ण (तंग)[1] होगा तथा हम उसे उठायेंगे प्रलय के दिन अन्धा करके।
Surah Taha, Verse 124
قَالَ رَبِّ لِمَ حَشَرۡتَنِيٓ أَعۡمَىٰ وَقَدۡ كُنتُ بَصِيرٗا
वह कहेगाः मेरे पालनहार! मुझे अन्धा क्यों उठाया, मैं तो (संसार में) आँखों वाला था
Surah Taha, Verse 125
قَالَ كَذَٰلِكَ أَتَتۡكَ ءَايَٰتُنَا فَنَسِيتَهَاۖ وَكَذَٰلِكَ ٱلۡيَوۡمَ تُنسَىٰ
अल्लाह कहेगाः इसी प्रकार, तेरे पास हमारी आयतें आयीं, तो तूने उन्हें भुला दिया। अतः इसी प्रकार, आज तू भुला दिया जायेगा।
Surah Taha, Verse 126
وَكَذَٰلِكَ نَجۡزِي مَنۡ أَسۡرَفَ وَلَمۡ يُؤۡمِنۢ بِـَٔايَٰتِ رَبِّهِۦۚ وَلَعَذَابُ ٱلۡأٓخِرَةِ أَشَدُّ وَأَبۡقَىٰٓ
तथा इसी प्रकार, हम बदला देते हैं उसे, जो सीमा का उल्लंघन करे और ईमान न लाये अपने पालनहार की आयतों पर और निश्चय आख़िरत की यातना अति कड़ी तथा अधिक स्थायी है।
Surah Taha, Verse 127
أَفَلَمۡ يَهۡدِ لَهُمۡ كَمۡ أَهۡلَكۡنَا قَبۡلَهُم مِّنَ ٱلۡقُرُونِ يَمۡشُونَ فِي مَسَٰكِنِهِمۡۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّأُوْلِي ٱلنُّهَىٰ
तो क्या उन्हें मार्गदर्शन नहीं दिया इस बात ने कि हमने ध्वस्त कर दिया, इनसे पहले बहुत-सी जातियों को, जो चल-फिर रही थीं अपनी बस्तियों में, निःसंदेह इसमें निशानियाँ हैं बुध्दिमानों के लिए।
Surah Taha, Verse 128
وَلَوۡلَا كَلِمَةٞ سَبَقَتۡ مِن رَّبِّكَ لَكَانَ لِزَامٗا وَأَجَلٞ مُّسَمّٗى
और यदि, एक बात पहले से निश्चित न होती आपके पालनहार की ओर से, तो यातना आ चुकी होती और एक निर्धारित समय न होता[1]।
Surah Taha, Verse 129
فَٱصۡبِرۡ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ قَبۡلَ طُلُوعِ ٱلشَّمۡسِ وَقَبۡلَ غُرُوبِهَاۖ وَمِنۡ ءَانَآيِٕ ٱلَّيۡلِ فَسَبِّحۡ وَأَطۡرَافَ ٱلنَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرۡضَىٰ
अतः आप सहन करें उनकी बातों को तथा अपने पालनहार की पवित्रता का वर्णन उसकी प्रशंसा के साथ करते रहें, सूर्योदय से पहले[1], सुर्यास्त से[2] पहले, रात्रि के क्षणों[3] में और दिन के किनारों[4] में, ताकि आप प्रसन्न हो जायेँ।
Surah Taha, Verse 130
وَلَا تَمُدَّنَّ عَيۡنَيۡكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعۡنَا بِهِۦٓ أَزۡوَٰجٗا مِّنۡهُمۡ زَهۡرَةَ ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا لِنَفۡتِنَهُمۡ فِيهِۚ وَرِزۡقُ رَبِّكَ خَيۡرٞ وَأَبۡقَىٰ
और कदापि न देखिए आप, उस आनन्द की ओर, जो हमने उन[1] में से विभिन्न प्रकार के लोगों को दे रखा है, वे सांसारिक जीवन की शोभा है, ताकि हम उनकी परीक्षा लें और आपके पालनहार का प्रदान[2] ही उत्तम तथा अति स्थायी है।
Surah Taha, Verse 131
وَأۡمُرۡ أَهۡلَكَ بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱصۡطَبِرۡ عَلَيۡهَاۖ لَا نَسۡـَٔلُكَ رِزۡقٗاۖ نَّحۡنُ نَرۡزُقُكَۗ وَٱلۡعَٰقِبَةُ لِلتَّقۡوَىٰ
और आप अपने परिवार को नमाज़ का आदेश दें और स्वयं भी उसपर स्थित रहें, हम आपसे कोई जीविका नहीं माँगते, हम ही आपको जीविका प्रदान करते हैं और अच्छा परिणाम आज्ञाकारियों के लिए है।
Surah Taha, Verse 132
وَقَالُواْ لَوۡلَا يَأۡتِينَا بِـَٔايَةٖ مِّن رَّبِّهِۦٓۚ أَوَلَمۡ تَأۡتِهِم بَيِّنَةُ مَا فِي ٱلصُّحُفِ ٱلۡأُولَىٰ
तथा उन्होंने कहाः क्यों वह हमारे पास कोई निशानी अपने पालनहार की ओर से नहीं लाता? क्या उनके पास उसका प्रत्यक्ष प्रमाण (क़र्आन) नहीं आ गया, जिसमें अगली पुस्तकों की (शिक्षायें) हैं
Surah Taha, Verse 133
وَلَوۡ أَنَّآ أَهۡلَكۡنَٰهُم بِعَذَابٖ مِّن قَبۡلِهِۦ لَقَالُواْ رَبَّنَا لَوۡلَآ أَرۡسَلۡتَ إِلَيۡنَا رَسُولٗا فَنَتَّبِعَ ءَايَٰتِكَ مِن قَبۡلِ أَن نَّذِلَّ وَنَخۡزَىٰ
और यदि हम ध्वस्त कर देते उन्हें, किसी यातना से, इससे[1] पहले, तो वे अवश्य कहते कि हे हमारे पालनहार! तूने हमारी ओर कोई रसूल क्यों नहीं भेजा कि हम तेरी आयतों का अनुपालन करते, इससे पहले कि हम अपमानित और हीन होते।
Surah Taha, Verse 134
قُلۡ كُلّٞ مُّتَرَبِّصٞ فَتَرَبَّصُواْۖ فَسَتَعۡلَمُونَ مَنۡ أَصۡحَٰبُ ٱلصِّرَٰطِ ٱلسَّوِيِّ وَمَنِ ٱهۡتَدَىٰ
आप कह दें कि प्रत्येक, (परिणाम की) प्रतीक्षा में है। अतः तुमभी प्रतीक्षा करो, शीघ्र ही तुम्हें ज्ञान हो जायेगा कि कौन सीधी राह वाले हैं, और किसने सीधी राह पायी है।
Surah Taha, Verse 135