وَكَذَٰلِكَ نَجۡزِي مَنۡ أَسۡرَفَ وَلَمۡ يُؤۡمِنۢ بِـَٔايَٰتِ رَبِّهِۦۚ وَلَعَذَابُ ٱلۡأٓخِرَةِ أَشَدُّ وَأَبۡقَىٰٓ
तथा इसी प्रकार, हम बदला देते हैं उसे, जो सीमा का उल्लंघन करे और ईमान न लाये अपने पालनहार की आयतों पर और निश्चय आख़िरत की यातना अति कड़ी तथा अधिक स्थायी है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari