يَعۡلَمُ مَا بَيۡنَ أَيۡدِيهِمۡ وَمَا خَلۡفَهُمۡ وَلَا يَشۡفَعُونَ إِلَّا لِمَنِ ٱرۡتَضَىٰ وَهُم مِّنۡ خَشۡيَتِهِۦ مُشۡفِقُونَ
वह जानता है, जो उनके सामने है और जो उनसे ओझल है। वह किसी की सिफ़ारिश नहीं करेंगे, उसके सिवा जिससे वह (अल्लाह) प्रसन्न[1] हो तथा वह उसके भय से सहमे रहते हैं।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari