وَجَعَلۡنَا فِي ٱلۡأَرۡضِ رَوَٰسِيَ أَن تَمِيدَ بِهِمۡ وَجَعَلۡنَا فِيهَا فِجَاجٗا سُبُلٗا لَّعَلَّهُمۡ يَهۡتَدُونَ
और हमने बना दिये धरती में पर्वत, ताकि झुक न[1] जाये उनके साथ और बना दिये उन (पर्वतों) में चौड़े रास्ते, ताकि लोग राह पायें।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari