أَمۡ تَحۡسَبُ أَنَّ أَكۡثَرَهُمۡ يَسۡمَعُونَ أَوۡ يَعۡقِلُونَۚ إِنۡ هُمۡ إِلَّا كَٱلۡأَنۡعَٰمِ بَلۡ هُمۡ أَضَلُّ سَبِيلًا
क्या ये तुम्हारा ख्याल है कि इन (कुफ्फ़ारों) में अक्सर (बात) सुनते या समझते है (नहीं) ये तो बस बिल्कुल मिसल जानवरों के हैं बल्कि उन से भी ज्यादा राह (रास्त) से भटके हुए
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi