Surah Aal-e-Imran Verse 103 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Aal-e-Imranوَٱعۡتَصِمُواْ بِحَبۡلِ ٱللَّهِ جَمِيعٗا وَلَا تَفَرَّقُواْۚ وَٱذۡكُرُواْ نِعۡمَتَ ٱللَّهِ عَلَيۡكُمۡ إِذۡ كُنتُمۡ أَعۡدَآءٗ فَأَلَّفَ بَيۡنَ قُلُوبِكُمۡ فَأَصۡبَحۡتُم بِنِعۡمَتِهِۦٓ إِخۡوَٰنٗا وَكُنتُمۡ عَلَىٰ شَفَا حُفۡرَةٖ مِّنَ ٱلنَّارِ فَأَنقَذَكُم مِّنۡهَاۗ كَذَٰلِكَ يُبَيِّنُ ٱللَّهُ لَكُمۡ ءَايَٰتِهِۦ لَعَلَّكُمۡ تَهۡتَدُونَ
तथा अल्लाह की रस्सी[1] को सब मिलकर दृढ़ता से पकड़ लो और विभेद में न पड़ो तथा अपने ऊपर अललाह के पुरस्कार को याद करो, जब तुम एक-दूसरे के शत्रु थे, तो तुम्हारे दिलों को जोड़ दिया और तुम उसके पुरस्कार के कारण भाई-भाई हो गए तथा तुम अग्नि के गड़हे के किनारे पर थे, तो तुम्हें उससे निकाल दिया। इसी प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतें उजागर करता है, ताकि तुम मार्गदर्शन पा जाओ।