لَن يَضُرُّوكُمۡ إِلَّآ أَذٗىۖ وَإِن يُقَٰتِلُوكُمۡ يُوَلُّوكُمُ ٱلۡأَدۡبَارَ ثُمَّ لَا يُنصَرُونَ
(मुसलमानों) ये लोग मामूली अज़ीयत के सिवा तुम्हें हरगिज़ ज़रर नहीं पहुंचा सकते और अगर तुमसे लड़ेंगे तो उन्हें तुम्हारी तरफ़ पीठ ही करनी होगी और फिर उनकी कहीं से मदद भी नहीं पहुंचेगी
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi