وَلَا تَحۡسَبَنَّ ٱلَّذِينَ قُتِلُواْ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِ أَمۡوَٰتَۢاۚ بَلۡ أَحۡيَآءٌ عِندَ رَبِّهِمۡ يُرۡزَقُونَ
जो अल्लाह की राह में मार दिये गये, तो तुम उन्हें मरा हुआ न समझो, बल्कि वे जीवित हैं[1], अपने पालनहार के पास जीविका दिये जा रहे हैं।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari