Surah Aal-e-Imran Verse 186 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Aal-e-Imran۞لَتُبۡلَوُنَّ فِيٓ أَمۡوَٰلِكُمۡ وَأَنفُسِكُمۡ وَلَتَسۡمَعُنَّ مِنَ ٱلَّذِينَ أُوتُواْ ٱلۡكِتَٰبَ مِن قَبۡلِكُمۡ وَمِنَ ٱلَّذِينَ أَشۡرَكُوٓاْ أَذٗى كَثِيرٗاۚ وَإِن تَصۡبِرُواْ وَتَتَّقُواْ فَإِنَّ ذَٰلِكَ مِنۡ عَزۡمِ ٱلۡأُمُورِ
(मुसलमानों) तुम्हारे मालों और जानों का तुमसे ज़रूर इम्तेहान लिया जाएगा और जिन लोगो को तुम से पहले किताबे ख़ुदा दी जा चुकी है (यहूद व नसारा) उनसे और मुशरेकीन से बहुत ही दुख दर्द की बातें तुम्हें ज़रूर सुननी पड़ेंगी और अगर तुम (उन मुसीबतों को) झेल जाओगे और परहेज़गारी करते रहोगे तो बेशक ये बड़ी हिम्मत का काम है