يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ ٱصۡبِرُواْ وَصَابِرُواْ وَرَابِطُواْ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ لَعَلَّكُمۡ تُفۡلِحُونَ
हे ईमान वालो! तुम धैर्य रखो[1], एक-दूसरे को थामे रखो, जिहाद के लिए तैयार रहो और अल्लाह से डरते रहो, ताकि तुम अपने उद्देश्य को पहुँचो।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari