Surah Aal-e-Imran Verse 61 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Aal-e-Imranفَمَنۡ حَآجَّكَ فِيهِ مِنۢ بَعۡدِ مَا جَآءَكَ مِنَ ٱلۡعِلۡمِ فَقُلۡ تَعَالَوۡاْ نَدۡعُ أَبۡنَآءَنَا وَأَبۡنَآءَكُمۡ وَنِسَآءَنَا وَنِسَآءَكُمۡ وَأَنفُسَنَا وَأَنفُسَكُمۡ ثُمَّ نَبۡتَهِلۡ فَنَجۡعَل لَّعۡنَتَ ٱللَّهِ عَلَى ٱلۡكَٰذِبِينَ
फिर आपके पास ज्ञान आ जाने के पश्चात् कोई आपसे ईसा के विषय में विवाद करे, तो कहो कि आओ, हम अपने पुत्रों तथा तुम्हारे पुत्रों और अपनी स्त्रियों तथा तुम्हारी स्त्रियों को बुलाते हैं और स्वयं को भी, फिर अल्लाह से सविनय प्रार्थना करें कि अल्लाह की धिक्कार मिथ्यावादियों पर[1] हो।