وَيَوۡمَ تَقُومُ ٱلسَّاعَةُ يُقۡسِمُ ٱلۡمُجۡرِمُونَ مَا لَبِثُواْ غَيۡرَ سَاعَةٖۚ كَذَٰلِكَ كَانُواْ يُؤۡفَكُونَ
और जिस दिन व्याप्त होगी प्रलय, तो शपथ लेंगे अपराधी कि वे नहीं रहे क्षणभर[1] के सिवा और इसी प्रकार, वे बहकते रहे।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari